स्टॉकहोम : नोबेल शांति पुरस्कार 2021 के विजेताओं का ऐलान कर दिया गया है। यह पुरस्कार मारिया रेसा और दिमित्री मुरातोव को देने की घोषणा की गई है। ये दो नाम ऐसे हैं, जिन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और सत्ता की नाराजगी भी मोल ली, लेकिन अपने संघर्ष को लेकर इनका सफर थमा नहीं। मारिया रेसा को फिलीपीन्स में और दिमित्री मुरातोव को रूस में अभिव्यक्ति की आजादी की लड़ाई के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।
दमित्री मुरातोव रूस में अपनी मुहिम से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अगुवाई वाली सरकार में भ्रष्टाचार की पोल खोल चुके हैं और वहां अभिव्यक्ति की आजादी के दमन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद किए हुए हैं तो मारिया रेस्सा को फिलीपींस में राष्ट्रपति रॉड्रिगो दुतेर्ते का मुखर विरोधी समझा जाता है। कथित मानहानि के एक केस में मारिया रेस्सा को फिलीपींस में छह साल की जेल भी हुई, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर उनका संघर्ष थमा नहीं।
दमित्री मुरातोव रूस में एक नोवाया गजेटा नाम का एक अखबार निकालते हैं, जिसके वह संपादक हैं। इसमें ऐसी कई रिपोर्ट्स प्रकाशित हुई हैं, जिसमें पुतिन सरकार में भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन का खुलासा किया गया है। बताया जाता है कि पुतिन के शासनकाल में जब अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने के तमाम प्रयास हो रहे हैं, दमित्री मुरातोव का अखबार ही है, जो सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है।
मारिया रेसा ने फिलीपींस में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। वह राष्ट्रपति रॉड्रिगो दुतेर्ते की मुखर आलोचक समझी जाती हैं। पहले भी उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। वह ऑनलाइन समाचार पोर्टल रैपलर इंक से जुड़ी रही हैं और मनीला की अदालत ने उन्हें मानहानि के एक केस में दोषी ठहराते हुए छह साल कैद की सजा सुनाई थी। इसे फिलीपींस में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा गया। लेकिन रेसा ने कहा कि लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने फिलीपींस के पत्रकारों और देश के लोगों से अपील की थी कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहें और सत्ता को जवाबदेह बनाने की कोशिश करें।