टीपू सुल्तान की वंशज रहीं नूर इनायत खान को लंदन में ब्लू प्लाक सम्मान, बनीं भारतीय मूल की पहली महिला

दुनिया
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Updated Aug 28, 2020 | 11:48 IST

ब्रिटेन की द्वितीय विश्व युद्ध की जासूस और टीपू सुल्तान की वंशज नूर इनायत खान को लंदन में ‘ब्लू प्लाक’ से सम्मानित किया जाएगा।

Noor Inayat Khan, a descendant of Tipu Sultan to give Blue Plaque Award in London, first woman of Indian origin
भारतीय मूल की महिला नूर इनायत खान को ब्रिटेन में सम्मान 

लंदन : ब्रिटेन की द्वितीय विश्व युद्ध की जासूस, नूर इनायत खान शुक्रवार को भारतीय मूल की पहली महिला बनीं जिन्हें मध्य लंदन में उनके पूर्व पारिवारिक घर में स्मारक ‘ब्लू प्लाक’ से सम्मानित किया जाएगा। इंग्लिश हैरिटेज धर्मार्थ संगठन द्वारा संचालित ‘ब्लू प्लाक’ योजना प्रख्यात लोगों और संगठनों को सम्मानित करता है जो लंदन में किसी खास भवन से जुड़े होते हैं। खान की पट्टिका ब्लूम्सबरी में 4 टैविटोन स्ट्रीट पर पहुंची जहां वह 1943 में नाजी के कब्जे वाले फ्रांस के लिए रवाना होने से पहले रहती थीं। वह ब्रिटेन के स्पेशल ऑपरेशन्स एक्जिक्यूटिव (एसओई) के लिए अंडरकवर रेडियो संचालक के तौर पर वहां गईं थी।

नूर, भारतीय सूफी संत हजरत इनायत खान की बेटी एवं 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की वंशज थीं जिनकी 1944 में दचाउ यातना शिविर में हत्या कर दी गई थी और उन्होंने कैद करने वालों को किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी थी यहां तक कि अपना असली नाम भी नहीं बताया था।

इतिहासकार एवं ‘स्पाइ प्रिंसेस : द लाइफ ऑफ नूर इनायत खान’ की लेखिका श्रावनी बसु ने कहा कि जब नूर इनायत खान अपने अंतिम मिशन पर अपना घर छोड़कर रवाना हुईं थीं, तो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन वह बहादुरी का प्रतीक बन जाएंगी।

बसु ने कहा कि वह एक असाधारण जासूस थीं। सूफी होने की वजह से वह अहिंसा एवं धार्मिक सौहार्द में यकीन करती थीं। बसु ने एक छोटे से समारोह में इस स्मारक पट्टिका का औपचारिक रूप से अनावरण किया जिसका प्रसारण सोशल मीडिया पर किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह उचित होगा कि भारतीय मूल की पहली महिला नूर को ब्लू प्लाक के साथ याद रखा जाएगा। इसे देखकर, नूर की कहानी भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। आज की दुनिया में,एकता एवं स्वतंत्रता का उनका दृष्टिकोण पहले से कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।

बसु नूर इनायत खान मेमोरियल ट्रस्ट (एनआईकेएमटी) की संस्थापक-अध्यक्ष हैं जिसने 2012 में पास के गोर्डोन स्कॉयर में नूर की प्रतिमा लगाई थी।


 

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