India China Relationship:भारत को चीन ने बताया दोस्त, क्या सीडीएस बिपिन रावत के बयान के बाद बदल गए सुर

दुनिया
ललित राय
Updated Aug 26, 2020 | 10:03 IST

Sun Widong comment लद्दाख के पूर्वी सेक्टर में चीनी भूमिका पर भारत को कड़ा ऐतराज है। चीन समय समय पर बयान बदलते रहता है। उसी कड़ी में भारत को अब चीन ने दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त बताया है।

India China Relationship:भारत को चीन ने बताया दोस्त, क्या सीडीएस  बिपिन रावत के बयान के बाद बदल गए सुर
सुन विडोंग, चीनी राजदूत 
मुख्य बातें
  • मई के बाद से भारत और चीन के बीच बढ़ा तनाव
  • गलवान हिंसा के बाद भारत ने चीन के खिलाफ कुछ विशेष आर्थिक कार्रवाई की
  • चीन का कहना है कि भारत उसका प्रतिद्वंदी नहीं है

नई दिल्ली। क्या चीन और भारत एक दूसरे के दोस्त हो सकते हैं। क्या भारत के प्रति चीन पूरी तरह से ईमानदार है। यह दोनों सवाल आज के संदर्भ में वाजिब हैं। चीन एक तरफ भारत के साथ साथ चलने की बात तो करता है। लेकिन जमीन पर जिस तरह से वो बुरी नीयत के साथ पेश आता है उसकी वजह से चीन पर भरोसा करना मुश्किल होता है। हाल ही में सीडीएस बिपिन रावत ने कहा था कि मौजूदा तनाव को खत्म करने में अगर कूटनीतिक और राजनीतिक कोशिश नाकाम रहती है तो सैन्य विकल्प  खुला है। उसके बाद चीन में हड़कंप है। 

भारत-चीन के बीच बातचीत ही रास्ता
चीन- इंडिया यूथ वेबिनार में बोलते हुए एंबेस्डर सुन विडोंग का कहना है कि भारत को चीन प्रतिद्वंदी नहीं दोस्त मानता है, चुनौती की जगह अवसर मानता है। हमें उम्मीद है कि उचित जगह पर दोनों देशों के बीच सीमा संबंधित विवाद सुलझा लिए जाएंगे। वो कहते हैं कि यह बात सच है कि हाल के दिनों में जो घटना घटी है उसकी वजह से अविश्वास का माहौल बना है। लेकिन अगर आप दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को देखें तो विश्व में सबसे ज्यादा व्यापार हो रहा है। आने वाला समय में आर्थिक रिश्तों की महत्ता और बढ़ती जाएगी। इस सच्चाई को हर एक को स्वीकार करना होगा। 


धारणा आधारित मुद्दों को सुलझाने में लगता है वक्त
अविश्वास के इस वातवरण के छंटने में दोनों देशों को सामने आना ही होगा। वो समझते हैं कि उचित तरह से बातचीत के जरिए विवादित मुद्दों को सुलझाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत करने की जरूरत है। अगर आप पीछे के इतिहास को देखें तो पाएंगे कि विवाद के बीच भी दोनों देश आगे बढ़ते रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो तथ्य हैं उस पर बातचीत करना आसान होता है। लेकिन अगर मामला किसी धारणा से संबंधित हो तो उसके निराकरण में समय लगता है। 

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