नई दिल्ली : पंजशीर घाटी में तालिबान से करीब एक सप्ताह तक लोहा लेने के बाद ऐसा लगता है कि अहमद मसूद के राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा (एनआरएफ) का हौसला कमजोर पड़ गया है। मसूद ने शांति के लिए अपना संघर्ष रोकने की पेशकश की है। हालांकि उन्होंने इसके लिए कुछ शर्त भी रखी है। मसूद ने अपना ताजा ट्वीट में कहा है कि वह लड़ाई बंद करने के लिए धार्मिक हस्तियों के आह्वान का स्वागत करते हैं। मसूद का कहना है कि वह भी शांति चाहते हैं। एनआरएफ के नेता ने पंजशीर घाटी में युद्ध तत्काल रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से दखल देने की अपील की है।
जनरल साहिब अब्दुल वदूद झोर भी मारे गए
मसूद का यह बयान ऐसे समय आया है जब पंजशीर घाटी में लड़ाई के दौरान एनआरएफ के प्रवक्ता एवं मसूद के करीबी फहीम दश्ती और जनरल साहिब अब्दुल वदूद झोर मारे गए हैं। तालिबान का दावा है कि पंजशीर घाटी के कई जिलों पर उसका कब्जा हो गया है और राजधानी बाराजात में लड़ाई जारी है। इसके पहले एनआरएफ की ओर से दावा किया गया कि ताजा संघर्ष में उसने तालिबान को भारी क्षति पहुंचाई है।
तालिबान-एनआरएफ के बीच बातचीत हुई नाकाम
गत 15 अगस्त को राजधानी काबुल को अपने अधीन लेने के बाद तालिबान पंजशीर घाटी को अपने निंयत्रण में लेने के लिए हमले कर रहा है लेकिन अभी तक उसे कामयाबी नहीं मिल पाई है। उसने मसूद को सरकार में शामिल होने का प्रस्ताव भी दिया था जिसे एनआरएफ नेता ठुकरा दिया। एनआरएफ और तालिबान के साथ बातचीत का भी असर नहीं हुआ।
लड़ाई रोकने के लिए मसूद ने रखी शर्त
मसूद ने अपने फेसबुक पोस्ट मेंकहा है, 'पंजशीर में मौजूदा समस्याओं का हल निकालने और लड़ाई पर रोक एवं बातचीत जारी रखने पर एनआरएफ सिद्धांतत: सहमत है। घाटी में शांति कायम करने के लिए एनआरएफ लड़ाई रोकने के लिए तैयार है लेकिन इसके लिए कुछ शर्त भी है। तालिबान को पंजशीर एवं अंदराब इलाके में अपने हमले और सैन्य गतिविधियां रोकनी होंगी।'
मसूद के ताजिकिस्तान जाने की अटकलें
इस बीच, मसूद के पंजशीर में होने को लेकर विरोधाभासी दावे भी किए जा रहे हैं। अफगान मीडिया के हवाले से कहा जा रहा है कि अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के ताजिकिस्तान भाग जाने के बाद मसूद भी देश छोड़कर चले गए हैं। मसूद पर अफगान मीडिया तालिबान के हवाले से बता रहा है कि मसूद ताजिकिस्तान भाग गए हैं जबकि मसूद की NRF के सूत्र उनके पंजशीर में ही होने का दावा कर रहे हैं।