बुडापेस्ट [हंगरी]: केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी इस समय रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण फंसे हुए भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी प्रक्रिया की देखरेख के लिए हंगरी में हैं। उनकी देखरेख में लगातार इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं कि यूक्रेन के संघर्षरत सुमी शहर से 700 से अधिक भारतीयों को सुरक्षित निकाला जाए। हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि 50-50 लोगों की क्षमता वाली चार बसें यूक्रेन के सुमी में फंसे भारतीय छात्रों को वापस लाने के लिए पोल्तावा जा रही हैं।
एएनआई से बात करते हुए, पुरी ने कहा, 'मैं दिल्ली में नियंत्रण कक्ष से बात कर रहा हूं। सूमी में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए 50-50 की क्षमता वाली चार बसें पोल्तावा के रास्ते में हैं। भोजन जैसी अन्य रसद व्यवस्थाएं की गई है। स्थिति के आधार पर, पोल्तावा से आगे की योजना बनाई जाएगी। फिलहाल, सभी व्यवस्थाएं हैं।'
उन्होंने कहा, 'हमने हंगरी से लगभग 6,200 छात्रों को निकाल लिया है। आम तौर पर, खार्किव या पिसोचिन में निकासी प्रक्रिया या सुमी में चल रही प्रक्रिया, भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है और इसमें कोई संदेह नहीं है। जब आप एक युद्ध क्षेत्र से निकासी प्रक्रिया कर रहे होते हैं, तो ऐसी बाधाएं होती हैं जिनका आप अनुमान नहीं लगा सकते हैं। मुझे खुशी होगी अगर हम अगले दो या तीन दिनों के भीतर इस निकासी प्रक्रिया को पूरा कर लें।
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यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने रविवार रात को ट्वीट कर कहा, 'सुमी से भारतीय छात्रों की सुरक्षित निकासी में समन्वय के लिए मिशन की एक टीम पोल्तावा शहर में डेरा डाले हुए है ताकि पोल्तावा के रास्ते पश्चिमी सीमा पहुंचा जा सके। पुष्ट समय और तारीख जल्द ही जारी की जाएगी। भारतीय छात्रों को सूचना देने के तत्काल बाद रवाना होने के लिए तैयार रहने की सलाह दी जाती है।' यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई के बाद शुरू किए गए निकासी अभियान ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत भारत 76 उड़ानों के माध्यम से अपने 15,920 से अधिक नागरिकों को वापस लाया है। यह जानकारी अधिकारियों ने रविवार को दी।
सुमी में फंसे भारतीयों के संबंध में इस विषय से परिचित लोगों ने बताया कि भारतीयों को निकालने के वास्ते रूसी और यू्क्रेनी पक्ष की ओर से ‘मानवीय गलियारा’ बनाने या संघर्ष विराम का कोई संकेत नहीं है जबकि भारत ऐसी व्यवस्था के लिए कई बार अनुरोध कर चुका है।
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