इस्लामाबाद: देश-विदेश में रह रहे पाकिस्तानी डॉक्टरों ने सरकार से कोरोना वायरस महामारी के बीच रमजान के महीने में मस्जिदों में नमाज पढ़ने की अनुमति देने के इमरान खान सरकार के फैसले की समीक्षा करने का आग्रह किया है। कोरोना वायरस से देश भर में 10,000 से अधिक लोग संक्रमित हैं। पाकिस्तान सरकार ने कट्टरपंथी धर्मगुरुओं के दबाव में आकर रमजान के दौरान लोगों को मस्जिदों में नमाज पढ़ने की अनुमति दे दी है लेकिन इससे कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किए गए सभी प्रयास असफल हो जाएंगे। कोरोना वायरस से विश्व भर में 1,75,000 से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं।
'एक समय में केवल 3-4 लोगों के नमाज पढ़ने दी जाए'
सरकार और धर्मगुरुओं को लिखे एक पत्र में डॉक्टरों ने आग्रह किया कि एक समय में केवल 3-4 लोगों के नमाज पढ़ने दी जाए। कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए यह उपाय पहले ही किया जा चुका है। इंडस अस्पताल के सीईओ डॉ अब्दुल बारी खान ने इस बात की पुष्टि की है कि स्वास्थ्य समुदाय के भय और चिंताओं के मद्देनजर यह पत्र भेजा गया है। डॉक्टरों ने लिखा कि अधिकतर 50 वर्ष से 80 वर्ष की आयु के लोग नमाज पढ़ने मस्जिद जाते हैं।
'अगले कुछ दिनों में बढ़ेंगे कोरोना वायरस मरीज'
डान ऑनलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 48 घंटों के वीडियो में देखा जा सकता है कि मस्जिद में नमाज में शामिल होने वाले 80 प्रतिशत लोगों की उम्र 60 या 70 वर्ष होगी। पत्र में लिखा गया, 'कराची के अस्पतालों में संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। हमारा अनुमान है कि अगले कुछ दिनों में इन आंकड़ों और मृत्यु दर में इजाफा देखने को मिलेगा। इससे पहले से ही बिगड़ी हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोझ बढ़ेगा। हमें डर है कि मस्जिदों में सामूहिक नमाज की अनुमति देना घातक हो सकता है।'