श्रीलंका के नागरिक प्रियंता कुमारा की पीट-पीट कर हत्या करने के मामले में आतंकवाद निरोधी अदालत ने छह को मौत की सजा और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई। 76 को दो-दो साल की सजा सुनाई गई, एक को पांच साल की सजा सुनाई।
छह दोषियों को दो मामलों में मौत की सजा और मृतक के कानूनी वारिसों को मुआवजे के रूप में दो लाख रुपए का भुगतान करने की सजा सुनाई गई है। 7 दोषियों को आजीवन कारावास के साथ-साथ दो लाख रुपए जुर्माने और कानूनी वारिसों को दो लाख रुपए मुआवजे की सजा सुनाई गई है। 76 दोषियों को तीन-तीन मामलों में दो-दो साल के कठोर कारावास और दो-दो मामलों में एक-एक साल की सजा सुनाई गई है।
राजको इंडस्ट्रीज के 900 श्रमिकों के खिलाफ आतंकवाद अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद के दिनों में कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया। इस घटना पर पूरे पाकिस्तान में व्यापक आक्रोश देखा गया, जिसमें राजनेताओं, विद्वानों और नागरिक समाज के सदस्यों ने अपराधियों को जल्द से जल्द सजा देने की मांग की ।
अपराध साबित करने के लिए फॉरेंसिक, ऑडियो और वीडियो साक्ष्य का भी इस्तेमाल किया गया। अभियोजन दल ने संदिग्धों के खिलाफ अपराध साबित करने के लिए कुल 43 गवाह पेश किए। एक महीने से भी कम समय में अभियोजन पक्ष ने गवाहों की गवाही पूरी की। उसके बाद अदालत ने उन्हें अपना बचाव करने का पूरा मौका दिया। 12 मार्च को 89 लोगों को आरोपित किया था। पुलिस द्वारा दाखिल चालान के मुताबिक आरोपियों में 80 वयस्क हैं, जबकि नौ नाबालिग हैं। जज नताशा नसीम ने लाहौर की कोट लखपत जेल में सुनवाई की थी।