Pakistan In Economic Crisis: आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की सबसे बड़ी उम्मीद जल्द पूरी हो सकती है। पाकिस्तान मीडिया के अनुसार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ उसकी डील पर जल्द ही मुहर लग सकती है। पाकिस्तान को आईएमएफ से मिलने वाली रकम 13 वें पैकेज का हिस्सा होगी। जो कि साल 2019 में तत्कालीन इमरान सरकार के साथ 6 अरब डॉलर के राहत पैकेज के रूप में हुई थी। नई किस्त में पाकिस्तान को एक अरब डॉलर का कर्ज मिल सकता है। इसके लिए आईएमएफ मेमोरैंडम ऑफ इकॉनमिक एंड फाइनेंशियल पॉलिसीज (एमईईपी) का ड्रॉफ्ट पाकिस्तान को जल्द सौंप सकता है।
IMF ने बीच में ही रोक दी थी राशि
असल में जिन शर्तों को पूरा करने के बदले पाकिस्तान को IMF से 6 अरब डॉलर की राशि मिलने वाली थी। उनके पूरा नहीं होने के बाद आधी राहत राशि को आईएमएफ ने रोक दिया था। जिसकी वजह से शहबाज शरीफ सरकार के लिए सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई थी। आईएमएफ और पाकिस्तान सरकार के बीच समझौते पर सहमति बनने के बाद बीते बृहस्पतिवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा था कि मौजूदा आर्थिक संकट से निकलने के लिए मुल्क को और बुरे दिन देखने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि आईएमएफ हम पर समझौते की सभी शर्तों को पूरा करने के लिए अड़ा था। यह एक कठिन दौर था और मैं बताना चाहता हूं कि मुल्क आगे चलकर और कठिन समय का सामना करेगा।
पाकिस्तान में अब पानी संकट, सूखे की चपेट में आ सकते हैं कई इलाके
जनता को चुकानी पड़ेगी कीमत
जिस कठिन समय की बात शरीफ कर रहे हैं, उसका असर भी दिख रहा है। बीते 16 जून को पाकिस्तान में पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर थी। पेट्रोल की कीमत 233.89 और डीजल की कीमत 263.31 रुपये पर पहुंच गई हैं। यानी पाकिस्तान में केवल 15 दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 84 रुपये की बढ़ोतरी हो गई है । ऐसी संभावना है कि पाकिस्तान सरकार आने वाले समय में एक बार फिर से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती है।
इसके अलावा सरकार ने टैक्स कलेक्शन बढ़ाने के लिए 50 हजार से एक लाख रुपये तक की सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को 1,200 रुपये का अतिरिक्त टैक्स देना होगा। इसी तरह कंपनियों पर इनकम सपोर्ट लेवी लगाने का भी ऐलान हो सकता है। साथ ही बड़ी कंपनियों पर 10 फीसदी सुपर टैक्स भी लगा दिया गया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार आईएमएफ ने सरकार को शुल्क के जरिए को 550 अरब रुपये एकत्र करने को कहा है। इसके अलावा राजकोषीय घाटा में तेजी से कमी लाने की भी शर्त रखी गई है। इसका सीधा मतलब है कि पाकिस्तान की जनता पर न केवल टैक्स बोझ बढ़ेगा बल्कि कल्याणकारी योजनाओं में भी कटौती होगी।
बदहाल है पाकिस्तान
पाकिस्तान की बदहाली का आलम यह है कि उसके पास आयात के लिए ज्यादा पैसे नहीं बचे हैं ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स के अनुसार उसका विदेशी मुद्रा भंडार ऐतिहासिक गिरावट के साथ 10 अरब डॉलर से भी नीचे आ गया है। जो कि उसकी आयात जरूरतों को डेढ़ से दो महीने ही पूरी कर सकता है। और खाद्य महंगाई दर 17.25 फीसदी पर है, जबकि मुख्य महंगाई दर 9.7 फीसदी पर है।