नई दिल्ली। एक कहावत है सूप तो सूप चलनी भी हंसे जिसमें बहत्तर छेद। यह कहावत पाकिस्तान के ऊपर सटीक बैठती है। मसलन आतंकवाद का सबसे बड़ा प्रायोजक देश है लेकिन खुद को आतंकवाद से पीड़ित बताता है। पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ किस तरह का बर्ताव होता है लेकिन वो भारत को नसीहत देता है। ताजा मामला बेंगलुरु हिंसा से जिसमें पाकिस्तान ने टांग अड़ाने की कोशिश की है और भारत की सीख देने के साथ साथ बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा है।
बेंगलुरु हिंसा पर पाकिस्तान का विरोध
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने उस घटना पर विरोध दर्ज कराया जिसका उससे किसी तरह का लेनादेना नहीं है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से ट्वीट किया गया कि कर्नाटक के बेंगलुरु में पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट पर भारत के साथ पाकिस्तान ने कड़े शब्दों में निंदा और विरोध दर्ज कराया है। यही नहीं पाकिस्तान ने बीजेपी र आरएसएस के खिलाफ जहर उगला। पाकिस्तान का कहना है कि भारत में धार्मिक घृणा अपराध की बढ़ती घटनाएं आरएसएस-बीजेपी गठबंधन की अतिवादी हिंदुत्व की विचारधारा का प्रमाण है।
पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक खत्म होने के कगार पर
यह बात अलग है कि पाकिस्तान को यह याद नहीं रहता है कि उसके यहां अल्पसंख्यक हिंदू, ईसाई, बौद्ध, जैन और सिखों के साथ कैसा बर्ताव होता है। अगर भारत पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी की बात करें तो 1947 के बाद से भारत में अल्पसंख्यकों की आबादी तेजी से बढ़ी है लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यक अब खत्म होने के कगार पर आ गए हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ धार्मिक आधार पर भदभाव किया जाता है कई बार तो उन्हें ईशनिंदा के झूठे केस में भी फंसाया भी जाता है, आसिया बीबी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।