हाल ही में न्यूयॉर्क शहर में सलमान रुश्दी पर हुए हमले पर अब पाकिस्तान के पूर्व इमरान खान ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे गलत ठहराया है। उन्होंने कहा कि इस्लाम हिंसा की इजाजत नहीं देता है। जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से सवाल पूछा गया तब उन्होंने कहा कि "मुझे लगता है कि यह भयानक और दुखद है।"
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख ने कहा कि रुश्दी की किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' के प्रति गुस्सा समझ में आता है, लेकिन इसका इस्तेमाल हिंसा को सही ठहराने के लिए नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा- "रश्दी समझते हैं क्योंकि वह एक मुस्लिम परिवार से आते हैं। वह पैगंबर के प्रति प्यार, सम्मान और श्रद्धा को जानते हैं जो हमारे दिलों में रहते हैं। वह यह जानते थे। इसलिए मैं गुस्से को समझ गया, लेकिन जो हुआ उसे आप सही नहीं ठहरा सकते।"
गौरतलब है कि दस साल पहले भारत में हो रहे एक कार्यक्रम में इमरान खान ने भाग लेने से इसलिए इनकार कर दिया था क्योंकि रुश्दी भी उसमें शरीक होने वाले थे। ऐसा करके उन्होंने अपनी नारागी जाहिर की थी।
द गार्जियन के साथ एक साक्षात्कार में, इमरान खान ने इस बात पर भी जोर दिया कि तालिबानी प्रतिबंधों के सामने अफगान महिलाओं को अपने अधिकारों का दावा करना चाहिए। बता दें कि अफगानिस्तान से लगातार महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की खबरें सामने आती रहती हैं और अफगान महिलाएं अप्रैल में पद से हटाए जाने के बाद अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं।
बता दें कि 12 अगस्त को हुए हमले में 75 वर्षीय रुश्दी का लीवर क्षतिग्रस्त हो गया था। उनकी बांह और एक आंख की नस फट गई थी। वहीं जेल से 'न्यूयॉर्क पोस्ट' के एक साक्षात्कार के दौरान छुरा घोंपने वाले आरोपी व्यक्ति ने कहा कि वह हैरान था कि रुश्दी हमले में कैसे बच गए। उसने कहा कि सलमान रुश्दी ऐसा आदमी है जिसने इस्लाम पर हमला किया।
बता दें कि अप्रैल में पाक पीएम के पद से हटाए जाने के बाद इमरान खान अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वहीं हाल ही में पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने इमरान खान को भारत का साथी बताया था और पाकिस्तान की सेना की छवि बिगड़ने का आरोप भी लगाया था।
इस पर जब हमने उनकी पूर्व पत्नी रेहम खान से बातचीत की थी तब उन्होंने कहा था कि इमरान ने अकेले दम पर सेना के शीर्ष अधिकारियों के प्रति नफरत को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि इमरान ने 4 साल से भी कम समय में सशस्त्र बलों के मनोबल को कम करने का काम किया है। रेहम खान ने यह भी कहा कि भारत पिछले 60 सालों में ऐसा करने में असमर्थ रहा था।