संयुक्त राष्ट्र संघ के जलसे में पाकिस्कतान के पीएम शहबाज शरीफ ने कहा कि उनके देश में हालात के लिए बाहरी माहौल जिम्मेदार है। इसके साथ ही उन्होंने भारत के साथ शांति की वकालत की । लेकिन साथ ही में यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में ना सिर्फ क्रूरता हो रही है बल्कि जनसंख्या के स्वरूप को बदल कर हिंदू बहुल बनाने की कोशिश की जा रही है। उनके इस भाषण पर राइट टू रिप्लाई को इस्तेमाल कर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि पाकिस्तान वो मुल्क है जो अपने कुकर्मों को छिपाता है।
पाकिस्तान पहले आत्मनिरीक्षण करे
भारतीय राजनयिक मिजिटी विनिटो ने कहा कि दूसरों पर आरोप मढ़ने से पहले खुद को देखना चाहिए। पाकिस्तान को आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है जब वो भारत पर आरोप लगाता है। जम्मू-कश्मीर पर किसी तरह की बयानबाजी से पहले पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद पर रोक लगाना चाहिए। जब हजारों की संख्या में जवान औरतों की अपहरण की वारदात सामान्य व्यवहार बन गया हो तो उस सूरत में हम और आप के बारे में सोच- समझ सकते हैं। यह बड़े दुख की बात है कि पाकिस्तान के पीएम ने इस पवित्र मंच का इस्तेमाल सिर्फ अपने निहित एजेंडे को इस्तेमाल करने के लिए किया है। भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाने के लिए किया है। यह सब उन्होंने अपने कुकर्मों को छिपाने के लिए किया ताकि भारत के खिलाफ वो जो कुछ करते हैं जिसे वो सही ठहरा सकें जिसे दुनिया भी स्वीकार नहीं करती है।
यूएनजीए में पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ की अगर मगर, भारत के साथ चाहते हैं शांति लेकिन
शांति के हिमायती आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देते
कोई भी देश जो इस बात का हिमायती है कि वो अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ शांति स्थापित करना चाहता है वो सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देगा। ना उन लोगों को अपने यहां शरण देगा या पालेगा जो मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार हैं। यही नहीं उन लोगों के बारे में तब जानकारी देगा जब अंतरराष्ट्रीय दबाव बने। वैश्विक समाज का ध्यान आकर्षित करने के लिए भारत ने हाल ही में पाकिस्तान में जबरन हिंदू, सिख और ईसाई परिवारों के अपहरण और शादी का जिक्र किया। भारत ने कहा कि किस तरह से जबरन पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समाज के लोगों की धर्मांतरण किया जा रहा है, यह बात हर किसी की जानकारी में है।