Pakistan News: पाकिस्तान की आर्थिक हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है। अर्थव्यवस्था के सभी मोर्चों पर उसकी हालत बेहत दयनीय हो चुकी है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट आ चुकी है। विदेशी मुद्रा भंडार के संकट को कम करने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कैबिनेट ने एक नया फरमान जारी किया है। शहबाज सरकार ने विदेश से होने वाले लग्जरी आइटमों के आयात पर रोक लगा दी है। सरकार ने कार, मोबाइल फोन, कॉस्मेटिक्स, सिगरेट, खाद्य पदार्थों एवं खास आभूषणों एवं टॉयलेट से जुड़ी चीजों सहित करीब 41 वस्तुओं के आयात पर रोक लगाई है।
फैसले के बारे में पीएम शरीफ ने किया ट्वीट
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सरकार के इस फैसले की जानकारी ट्वीट के जरिए दी है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार का यह फैसला 'ऊंट के मुंह में जीरा की तरह है।' इससे विदेशी मुद्रा की माली हालत पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला। लग्जरी आइटमों के आयात पर बैन से मुश्किल से 60 करोड़ डॉलर के आयात खर्चे में कमी आएगी।
कैबिनेट की बैठक में लिया गया फैसला
'ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक गिरते विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर शहबाज सरकार काफी चिंतित है। इस संकट को दूर करने के लिए पिछले दिनों कैबिनेट की कई बैठकें हुईं। सूत्रों का कहना है कि बैठकों के बाद लग्जरी आइटमों के आयात पर रोक लगाने का फैसले को मंजूरी दी गई। पीएम शरीफ ने अपने ट्वीट में कहा, 'लग्जरी आइटमों के आयात पर रोक लग जाने से देश के बेशकीमती विदेशी मुद्रा भंडार की बचत होगी। हम खर्चों में कटौती के उपाय लागू करेंगे। आर्थिक रूप से संपन्न लोगों को इस समय सरकार का साथ देना चाहिए ताकि गरीब लोगों पर ज्यादा बोझ न पड़े।' शरीफ ने देश के मौजूदा हालात के लिए इमरान खान की सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
चरमरा गई है पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान में इसे गठबंधन सरकार का एक बड़ा फैसला माना जा रहा है। हालांकि, इस फैसले को अभी विश्व व्यापार संगठन और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के सामने से गुजरना होगा। डब्ल्यूटीओ सदस्य देशों को अपने बाजार खुला रखने के लिए कहता है, हालांकि विशेष परिस्थितियों में वह वस्तुओं के आयात-निर्यात पर रोक लगाने की भी इजाजत देता है। बीते कुछ सालों से पाकिस्तान की आर्थिक हालत चरमरा गई है। वह दिवालिया होने के कगार पर है। एफएटीएफ की 'ग्रे लिस्ट' में होने की वजह से उसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में परेशानी होती है। विदेशी निवेशकों ने देश से दूरी बनाई है।