इस्लामाबाद : पाकिस्तान में इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार ने ऑनलाइन मल्टीप्लेयर गेम पबजी पर से प्रतिबंध हटा लिया गया है। इस मामले में सरकार अपने ही फैसले से दो महीने के भीतर पलट गई। पाकिस्तान ने 1 जून को इसे इस्लाम विरोधी बताते हुए बैन कर दिया था। सरकार ने इसे लेकर कोर्ट में दलील दी थी कि यह गेम युवाओं पर मानसिक दबाव बना रहा है और इसमें कई दृश्य इस्लाम विरोधी होते हैं, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।
अब दो हीने के भीतर इमरान सरकार ने इस पर से प्रतिबंध हटा लिया है। पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण (PTA) ने गुरुवार को यह फैसला लिया। पीटीए का कहना है कि पबजी गेम की पैरेंअ कंपनी प्रॉक्सिमा बीटा (PB) ने गेमिंग प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग को रोकने का आश्वासन दिया है, जिसके बाद प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया गया। हालांकि इसकी वजह कुछ और ही बताई जा रही है।
बताया जा रहा है कि पबजी गेम पाकिस्तान में युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय है और इसे प्रतिबंधित करने के सरकार के फैसले से युवाओं में नाराजगी बढ़ रही थी, जो इमरान खान की अगुवाई वाली पार्टी तहरीक ए इंसाफ के समर्थक माने जाते हैं। ऐसे में युवाओं की नाराजगी को देखते हुए इमरान की पार्टी को डर सता रहा था कि अगर पबजी पर से प्रतिबंधि नहीं हटाया गया तो युवा वोटर उनसे दूर हो सकते हैं, जिसका खामियाजा उन्हें चुनावों में उठाना पड़ सकता है। ऐसे में उन्होंने इस ऑनलाइन गेम से प्रतिबंध हटाने का फैसला किया।
इससे पहले इस ऑनलाइन गेम को प्रतिबंधित किए जाने को लेकर जब इस्लामाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी तो पाकिस्तान टेलीकम्यूनिकेशन अथॉरिटी ने कहा था कि पबजी के कारण पाकिस्तान में युवाओं पर कई तरह के मानसिक दबाव पड़ रहे हैं और उनमें आत्महत्या के मामले भी बढ़े हैं। साथ ही इसमें कुछ ऐसे दृश्य होते हैं, जो इस्लाम विरोधी होते हैं। पाकिस्तान में इनकी इजाजत नहीं दी जा सकती।
यहां उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में लोकप्रिय चीनी वीडियो एप टिकटॉक को भी इस्लाम विरोधी करार देते हुए प्रतिबंधित करने को लेकर कोर्ट में अर्जी दी गई है। इसमें कहा गया है कि टिकटॉक के जरिए इस्लाम विरोधी कंटेंट सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं और इसलिए सरकार इसे प्रतिबंधित करने पर विचार कर रही है।
इससे पहले पाकिस्तान ने 2013 में कॉल ऑफ ड्यूटी और मेडल ऑफ ऑनर जैसे गेम्स को भी बंद कर दिया था। तब सरकार की ओर से कहा गया था कि इन गेम्स में पाकिस्तान को आतंकियों का ठिकाना दिखाया गया, जबकि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के संबंध वैश्विक आतंकी संगठन अलकायदा और कई अन्य आतंकी समूहों से भी दिखाए गए थे।