इमरान खान का 'शक्ति प्रदर्शन', कुर्सी पर संकट टला, सरकार और विपक्ष के बीच टकराव बढ़ने के आसार

पाकिस्‍तान में इमरान खान ने नेशनल असेंबली में विश्‍वास मत हासिल कर लिया है। सरकार के इस कदम के बाद विपक्ष के साथ उसके टकवरा और बढ़ने के आसार जताए जा रहे हैं।

इमरान खान का 'शक्ति प्रदर्शन', कुर्सी पर संकट टला, सरकार और विपक्ष के बीच टकराव बढ़ने के आसार
इमरान खान का 'शक्ति प्रदर्शन', कुर्सी पर संकट टला, सरकार और विपक्ष के बीच टकराव बढ़ने के आसार  |  तस्वीर साभार: AP, File Image

इस्‍लामाबाद : पाकिस्‍तान में इमरान खान ने नेशनल असेंबली में विश्‍वास मत हासिल कर लिया है, जिसके बाद उनकी कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा टल गया है। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की ओर से यह प्रस्‍ताव लाया गया था, जिसे सदन में बहुमत का समर्थन हासिल हुआ। विश्‍वास मत जीतने के लिए इमरान खान को 341 सदस्‍यीय नेशनल असेंबली में 172 वोटों की जरूरत थी, जबकि उनके पक्ष में 178 वोट पड़े।

इमरान खान ने विश्‍वास मत हासिल करने का ऐलान 4 मार्च को किया था, जब एक दिन पहले ही 3 मार्च को हुए सीनेट के चुनाव में पाकिस्‍तान के वित्‍त मंत्री अब्दुल हफीज शेख विपक्षी उम्‍मीदवार व पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के हाथों हार गए थे। यूं तो सीनेट में मिली उस हार का इमरान खान की सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ने वाला था, लेकिन इमरान खान की सियासी प्रतिष्‍ठा के हिसाब से इसे बड़ा झटका माना गया।

टकराव बढ़ने के आसार 

विपक्ष लगातार उनके इस्‍तीफे की मांग कर रहा था। ऐसे में सीनेट में नेशनल असेंबली में विश्‍वास मत हासिल करने की इमरान खान की घोषणा को शक्ति-प्रदर्शन के तौर पर देखा गया, जिसमें आखिरकार उन्‍हें जीत हासिल हो गई। इस दौरान सदन में सत्‍ता पक्ष के सांसदों की तकरीबन पूरी संख्‍या मौजूद रही, जबकि विपक्षी सीटें खाल रहीं। 11 दलों का विपक्षी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) ने पहले ही नेशनल असेंबली के इस विशेष सत्र के बहिष्‍कार का ऐलान किया था।

नेशनल असेंबली में इमरान खान के इस 'शक्ति प्रदर्शन' के बाद पाकिस्‍तान में सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और बढ़ने के आसार जताए जा रहे हैं। जानकारों के मुताबिक, विपक्ष पर पहले ही भ्रष्‍टाचार को लेकर हमले करने वाले इमरान खान उनके खिलाफ और उग्र तेवर अपना सकते हैं, जबकि विपक्ष दोगुनी क्षमता के साथ पलटवार कर सकता है। ऐसे में आपसी खींचतान बढ़ेगी, जिससे सरकार का ध्‍यान जनता से जुड़े मुद्दों से भटक सकता है और ऐसे में पहले से ही आर्थिक मोर्चों पर संकट का सामना कर रही पाकिस्‍तान की जनता की परेशानी आने वाले समय में और बढ़ सकती है।

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