इस्लामाबाद : पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की सत्ता को हिलाकर रख देने वाले जमीयत-ए-उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान पर देशद्रोह के आरोप में मुकदमा चलाने की तैयारी हो रही है। इमरान सरकार के खिलाफ इस्लामाबाद में 'आजादी मार्च' की अगुवाई कर चुके फजलुर रहमान को लेकर सरकार की नजरें पहले से ही टेढ़ी रही हैं और अब इमरान ने कहा है कि उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए।
इमरान खान एक पाकिस्तानी चैनल से बात कर रहे थे, जब उन्होंने कहा कि फजलुर पर संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत देशद्रोह के आरोप में मुकदमा चलाया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने हाल ही में खुद स्वीकार किया है कि उन्होंने सरकार को गिराने की साजिश की थी। उन्होंने पाकिस्तान की नेशनल एसेम्बली में भी इस बारे में अपनी बात रखी, जिसका विपक्षी दलों ने भारी विरोध भी शुरू कर दिया।
भारत के खिलाफ मौलाना
फजलुर रहमान के तेवर यूं तो भारत के खिलाफ रहा है और कई बार उन्होंने भारत के खिलाफ जहर भी उगला है। कश्मीर मसले पर उन्होंने कई बार हाफिज सईद तक का समर्थन किया है, जो मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमले का भी मास्टरमाइंड है। पाकिस्तान का यह कट्टरपंथी नेता भारत के खिलाफ जेहाद का भी ऐलान कर चुका है, पर इमरान खान अगर मौलाना के खिलाफ एक्शन लेना चाहते हैं तो इसकी वजह भारत के दुश्मन को सबक सिखाना नहीं, बल्कि उनका खुद का डर है।
क्यों डरे हैं इमरान?
जमीयत-ए-उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान का पाकिस्तानी अवाम के बीच बड़ा प्रभाव है। उन्हें 'मौलाना डीजल' के नाम से भी जाना जाता है। वह पाकिस्तान में कई मदरसे चलाते हैं और उन्हें लोगों का समर्थन भी हासिल है। फिर विपक्षी दलों का समर्थन उन्हें पहले से ही हासिल है। ऐसे में इमरान को फजलुर रहमान की तरफ से बड़ी चुनौती मिलती दिख रही है, जिससे उनका घबराना लाजिमी है।
कौन हैं फजलुर रहमान?
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में फजलुर रहमान का गढ़ माना जाता है। उनकी पार्टी जमीयत उलेमा ए इस्लाम एक कट्टर धार्मिक पार्टी है, जिसने पाकिस्तान की सियासत में कभी बेनजरी भुट्टो का विरोध सिर्फ इसलिए किया था, क्योंकि वह एक महिला थीं और मौलाना की नजर में एक महिला का प्रधानमंत्री बनना ठीक नहीं था। अब वही मौलाना इमरान खान की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। बीते साल अक्टूबर में उन्होंने इमरान सरकार के खिलाफ इस्लामाबाद में आजादी मार्च की अगुवाई की थी, जिसने पाकिस्तान की सेना व सरकार दोनों के नाक में दम कर दिया था।
मौलाना को विपक्ष का भी समर्थन
मौलाना ने अब एक बार फिर इमरान सरकार के खिलाफ उसी तरह का मार्च निकालने की बात कही है। उनका आरोप है कि 2018 में पाकिस्तान में हुए आम चुनाव में व्यापक पैमाने पर धांधली हुई, जिसमें इमरान खान की अगुवाई वाली पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए इंसाफ ने जीत हासिल की और इमरान खान प्रधानमंत्री बने। उन्होंने सरकार से इस्तीफा देकर नए सिरे से निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव कराने की मांग की है। मौलाना की अगुवाई में आयोजित 'आजादी मार्च' को पाकिस्तान के विपक्षी दलों का भी समर्थन मिला था, जिसने इमरान सरकार की सत्ता हिलाकर रख दी थी।
इमरान सरकार को चेतावनी
अब एक बार फिर जब इमरान खान ने कहा है कि फजलुर रहमान के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए तो विपक्षी दल उनके खिलाफ लामबंद हो गए हैं। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यहां मोस्ट वांटेड आतंकवादी तो सरकार को चकमा देकर भाग जाता है, लेकिन सरकार राजनीतिक नेतृत्व के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करने की सोच रही है। मौलाना के बेटे असद महमूद ने भी इमरान को चेतावनी देते हुए कहा कि संविधान की धारा 6 का इस्तेमाल उनके पिता के खिलाफ नहीं हो सकता।