इस्लामाबाद : पाकिस्तान की राजनीति में मचे सियासी घमासान के बीच प्रधानमंत्री इमरान खान ने आज (गुरुवार, 31 मार्च) राष्ट्र को संबोधित किया। उनका यह 'बहुप्रतीक्षित' संबोधन विपक्ष की ओर से उनके खिलाफ पाकिस्तान की संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग से पहले हुआ है, जिस दौरान उन्होंने विपक्षी नेताओं पर जमकर हमले बोले तो यह भी साफ कर दिया कि वह इस्तीफा नहीं देंगे और एक अच्छे क्रिकेटर की तरह आखिरी गेंद तक लड़ते रहेंगे। पाकिस्तान के पीएम ने इस दौरान एक बार फिर अपनी सरकार के खिलाफ 'अंतरराष्ट्रीय साजिश' की आशंका जताई।
इमरान खान बुधवार को ही राष्ट्र को संबोधित करने वाले थे, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया, जिसके बाद आज गुरुवार को उन्होंने राष्ट्र को संबोधित किया। पहले बताया गया कि प्रधानमंत्री का रिकॉर्डेड 'संदेश' प्रसारित किया जाएगा। लेकिन फिर बताया गया कि इमरान खान का संबोधन लाइव होगा। अपने संबोधन के दौरान इमरान खान ने सबसे पहले तो पाकिस्तान की अवाम को यह बताया कि आखिर वह राजनीति में क्यों आए और फिर उन्होंने विपक्ष के उन नेताओं पर निशाना साधा, जिनके खिलाफ देश में भ्रष्टाचार सहित कई मामलों में वांछित हैं और विदेशों में रह रहे हैं तो उन्होंने अफगानिस्तान में पूर्व सोवियत संघ और बाद में अमेरिका की कार्रवाई के बीच पाकिस्तान की भूमिका पर भी बात की।
अपना संबोधन शुरू करते हुए इमरान खान ने कहा कि वह देश के भविष्य को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बात करने आए हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने इस संबोधन को लाइव करने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि पाकिस्तान इस वक्त निर्णायक मोड़ पर खड़ा है, जहां से हमारे पास आगे बढ़ने के लिए दो रास्ते हैं। लेकिन उससे पहले, मैं आपको बताना चाहता हूं कि मेरे जैसा शख्स राजनीति में क्यों आया?' PAK पीएम ने कहा, 'मैं भाग्यशाली हूं, जिसे अल्लाह ने प्रसिद्धि और धन-दौलत सब दिया। मैं उस पहली पीढ़ी से हूं जो एक स्वतंत्र देश में पैदा हुआ था। पाकिस्तान मुझसे पांच साल बड़ा है। मेरे माता-पिता गुलामी के समय पैदा हुए थे। उन्होंने मुझे एहसास दिलाया कि मैं एक स्वतंत्र देश में पैदा होने के नाते भाग्यशाली था, क्योंकि गुलामी में आप एक निश्चित स्तर से ऊपर नहीं उठ सकते।'
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इमरान खान ने कहा, 'मैं राजनीति में इसलिए आया, क्योंकि मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि पाकिस्तान कभी वह देश नहीं हो सकता, जिसका अल्लामा इकबाल ने सपना देखा था और जिसके लिए कायदे-आजम ने खराब स्वास्थ्य में भी संघर्ष किया था। पाकिस्तान का मुख्य उद्देश्य एक इस्लामी कल्याणकारी राज्य बनना था। जब मैंने राजनीति शुरू की, तो मैंने अपनी पार्टी के घोषणा-पत्र में तीन चीजें शामिल कीं। पहला न्याय, जिसका अर्थ है कि कानून शक्तिशाली और कमजोर के लिए समान है। दूसरा मानवता, क्योंकि एक इस्लामी राज्य में दया है और तीसरा खुद्दारी, क्योंकि एक मुस्लिम राष्ट्र गुलाम नहीं हो सकता।'
उन्होंने कहा, 'अगर अल्लाह ने मुझे भरोसे के साथ आशीर्वाद नहीं दिया होता तो मैं राजनीति में प्रवेश नहीं करता। 14 साल तक मेरा मजाक उड़ाया गया और लोगों ने मुझसे बार-बार पूछा कि मैं राजनीति में क्यों आया? मैं एक विचारधारा के कारण राजनीति में आया।' उन्होंने कहा, 'जब से मैं राजनीति में आया हूं, मैंने हमेशा कहा है कि न तो मैं किसी के सामने झुकूंगा और न ही अपने मुल्क को झुकने दूंगा। इसका मतलब है कि मैं अपने देश को किसी का गुलाम नहीं बनने दूंगा। मैं इस रुख से कभी पीछे नहीं हटा।'
विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'मैंने तय किया कि जिस दिन मैं प्रधानमंत्री बनूंगा, हमारी विदेश नीति स्वतंत्र होगी, जिसका अर्थ है कि यह पाकिस्तानियों के लिए होगा। इसका मतलब यह नहीं है कि हम दुश्मनी चाहते थे। जब मुझे सरकार मिली तो मैंने कहा कि हमारी ऐसी कोई विदेश नीति नहीं होगी जो हमारे पक्ष में न हो।'
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प्रधानमंत्री ने इस दौरान उस धमकीभरे 'सीक्रेट लेटर' का भी जिक्र किया, जिसका उल्लेख वह अपनी सरकार के खिलाफ 'अंतरराष्ट्रीय साजिश' का हवाला देते हुए पहले भी कर चुके हैं। इस दौरान उनकी जुबान फिसल गई और उन्होंने अमेरिका का नाम लिया। इमरान खान ने कहा, 'मैं आज यहां आप लोगों के बीच इसलिए हूं, क्योंकि 7 या 8 मार्च को अमेरिका... अमेरिका नहीं... मैं नाम नहीं लूंगा... हमें एक संदेश मिला। एक स्वतंत्र देश के लिए इस तरह का एक संदेश न केवल उसके प्रधानमंत्री के खिलाफ है, बल्कि यह उस देश के खिलाफ भी है। वे पहले से जानते थे कि अविश्वास प्रस्ताव आ रहा है, जबकि उस समय इसे पेश भी नहीं किया गया था। इसका मतलब है कि वे (विपक्ष) विदेशों में इन लोगों से जुड़े थे। उनका कहना है कि वे पाकिस्तान से नाराज हैं... वे यह बहाना बनाते हैं। उनका कहना है कि अगर इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव में हार गए तो वे पाकिस्तान को माफ कर देंगे, लेकिन अगर यह कदम विफल हो जाता है, तो पाकिस्तान को मुश्किल समय से गुजरना होगा। एक आधिकारिक दस्तावेज में कहा गया था कि अगर इमरान खान प्रधानमंत्री बने रहे, तो हमारे संबंधों को नुकसान होगा और आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।'
इमरान खान ने कहा, 'मैं आज अपने देश से कह रहा हूं कि यह हमारी हैसियत है। हम 22 करोड़ का देश हैं और दूसरा देश- और वे कोई कारण नहीं दे रहे हैं- धमकी दे रहे हैं। वे कहते हैं कि इमरान खान ने अपने आप ही रूस जाने का फैसला कर लिया, जबकि विदेश कार्यालय और सैन्य नेतृत्व से इसके लिए परामर्श लिया गया था। हमारे राजदूत ने उन्हें बताया कि परामर्श के बाद रूस का दौरा करने का फैसला किया गया था, लेकिन वे इससे इनकार कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यह केवल इमरान खान की वजह से था और अगर वह रहता है तो हमारे संबंध अच्छे नहीं हो सकते। वे वास्तव में यह कह रहे हैं कि उन्हें उन लोगों से कोई समस्या नहीं है जो इमरान खान की जगह लेंगे।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी बलों ने शहबाज शरीफ, फजलुर रहमान और आसिफ अली जरदारी को 'पसंद करना शुरू कर दिया है, क्योंकि वे जानते हैं कि उनका पैसा और संपत्ति कहां है और बीते 10 वर्षों में उन्होंने जो 400 ड्रोन हमले किए, उसकी उन्होंने (पाक नेताओं) एक बार भी निंदा नहीं की। सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात तो यह रही कि उनके (विदेशी ताकतों) के उन लोगों से संबंध हैं, जिनके जरिये (अविश्वास प्रस्ताव की) साजिश की गई। वे कठपुतली हैं और कठपुतली का मतलब वफादार गुलाम है।'
इमरान खान ने इस दौरान एक बार फिर भारत का जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'मेरी सोच भारत विरोधी नहीं रही है। मैंने केवल तभी आपत्ति जताई, जब कश्मीर में धारा 370 निरस्त की गई।' इससे पहले पाकिस्तान में अपनी सरकार के खिलाफ विपक्ष की लामबंदी के बीच इमरान खान ने भारतीय विदेश नीति की तारीफ की थी। इस्तीफे की अटकलों को खारिज करते हुए इमरान खान ने कहा कि वह आखिरी गेंद तक खेलेंगे। उन्होंने कहा, 'कई लोगों ने मुझे इस्तीफा देने का सुझाव दिया। लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा। मैं आखिरी बॉल तक खेलूंगा। कई सांसदों को पैसा दिया जा रहा। लोग इसे देख रहे हैं। रविवार को नेशनल असेंबली में मतदान होगा, जब हमारा भविष्य तय होगा। यह विपक्ष का ड्रामा है। जनता को सब कुछ तय करना होगा।'
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन ऐसे समय में हुआ है, जबकि तीन दिन के स्थगन के बाद आज (गुरुवार, 31 मार्च) जब नेशनल असेंबली का सत्र इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए शुरू हुआ तो सदन की कार्यवाही कुछ ही मिनटों के अंदर एक फिर से स्थगित कर दी गई।
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राष्ट्र के नाम इस संबोधन से पहले प्रधानमंत्री ने अपने आवास पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर एक अहम बैठक की अध्यक्षता की तो नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा पर ससंदीय समिति की एक बैठक का भी आयोजन किया गया, जिसमें देश के मौजूदा हालात को लेकर चर्चा की गई।
वहीं नेशनल असेंबली में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दी गई है। इसमें उस पत्र का हवाला देते हुए वोटिंग पर रोक और राजनीतिक दलों के खिलाफ जांच की अपील की गई है, जिसका जिक्र इमरान खान ने अपनी सरकार के खिलाफ 'अंतराष्ट्रीय साजिश' के तौर पर किया है।