Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की सिफारिश पर नेशनल असेंबली भंग करने के बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का एक अहम बयान सामने आया है। अल्वी ने कहा है कि इमरान खान पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 224 ए के तहत कार्यवाहक पीएम की नियुक्ति तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे। अल्वी का यह बयान पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान को पाकिस्तान के प्रधान मंत्री के रूप में डीनोटीफाई किए जाने के बाद आया है। जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल असेंबली के भंग होने के बाद देश के कैबिनेट डिवीजन की ओर से इस संबंध में एक बयान जारी किया गया है।
इमरान खान जनता से करेंगे बात
इसके पहले रविवार को नेशनल असेंबली में इमरान खान सरकार के खिलाफ, अविश्वास प्रस्ताव को असंवैधानिक करार देते हुए नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने उसे खारिज कर दिया था। इस बीच इमरान खान की पार्टी के नेता फैसल जावेद खान ने कहा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान एक बार फिर आपसे सीधे फोन पर बात करेंगे । आपके सवाल और प्रधानमंत्री के जवाब की बातचीत को टेलीविजन, रेडियो और डिजिटल मीडिया पर सीधा प्रसारण किया जाएगा।
इमरान खान पर चलेगा मुकदमा-शरीफ
नेशनल असेंबली भंग किए जाने पर विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने कहा है कि इमरान खान की सरकार गिरने के बाद संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत, उन पर मुकदमा चलाया जाएगा। वहीं पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि विपक्ष डिप्टी स्पीकर द्वारा असंवैधानिक शासन के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू करेगा। इस बीच एक बार फिर पाकिस्तान की सेना ने अपना पुराना राग अलापा है। उसके कहा है कि वह राजनीति में शामिल नहीं है।
वहीं पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने कहा कि नेशनल असेंबली को भंग करने के संबंध में इमरान खान और राष्ट्रपति द्वारा शुरू किए गए सभी आदेश और कार्रवाई अदालत के आदेश के अधीन होगी।
इमरान ने देश को संवैधानिक संकट में डाला-पाक मीडिया
वहीं पाकिस्तान मीडिया ने देश में नेशनल असेंबली को भंग करने के कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि रविवार को जो कुछ भी हुआ, खास तौर से वह अविश्वास प्रस्ताव से निपटने के लिए सदन की कार्यवाही को नियंत्रित करने वाले सभी नियमों का उल्लंघन करता है।
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने अपनी संपादकीय में लिखा है कि इमरान खान एक सच्चे खिलाड़ी की तरह राजनीतिक खेल खेल सकते थे और नेशनल असेंबली में हारकर भी वह मजबूत हो सकते थे। ऐसा करने के बजाय उन्होंने देश को एक संवैधानिक संकट में डालने का रास्ता चुन लिया है। राष्ट्रपति भी बुद्धिमानी से कार्य करने में विफल रहे। पूरी प्रक्रिया की संविधान के आधार पर देखने के बजाय, उन्होंने इमरान खान के वफादार के रूप में काम किया और अपने पक्षपात रवैये की वजह से अपने कार्यालय को बदनाम किया।
Imran Khan political journey : इमरान खान का राजनीतिक सफर और पाकिस्तान का मौजूदा घटनाक्रम