इस्लामाबाद : अपने सियासी करियर में अब तक के अपने सबसे बड़े संकट का का सामना रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान आज (शनिवार, 2 अप्रैल) एक बार फिर देशवासियों से रू-ब-रू हुए। इमरान खान ने इस दौरान युवाओं को खास संदेश दिया। पाकिस्तान के युवाओं से उन्होंने कहा, 'आपको चुप रहने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अगर आप चुप रहेंगे, तो आप गलत के साथ होंगे। मैं चाहता हूं कि आप विरोध करें और इस साजिश के खिलाफ बोलें... मेरे लिए नहीं, बल्कि आपके अपने भविष्य के लिए।'
यह पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में इमरान खान के खिलाफ पक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बाद देश के नाम उनका दूसरा संबोधन रहा, जब ब्रिटेन का उदाहरण देते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने लोगों से स्वत:स्फूर्त आंदोलन का भी आह्वान किया। पाक पीएम ने कहा, 'उन्होंने अवैध रूप से जब सामूहिक विनाश के हथियारों का इस्तेमाल किया और इराक पर हमला किया, तो 20 लाख से अधिक लोगों ने वहां विरोध-प्रदर्शन किया। लेकिन यह हिंसक नहीं था। इस दौरान एक घड़ा तक नहीं टूटा। मैं खुद भी उनके साथ चला था। इसके लिए किसी राजनीतिक दल ने उनका आह्वान नहीं किया था, बल्कि यह स्वत: स्फूर्त था। यही एक राष्ट्र के जिंदा होने की निशानी है।'
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने देशवासियों से मुखातिब होने के लिए प्रश्न-उत्तर सत्र का आयोजन किया था, जिसमें सरकार की ओर से जारी एक फोन नंबर के जरिये लोगों को सवाल करने के लिए कहा गया, जिसका जवाब प्रधानमंत्री को देना था। लेकिन इससे पहले उन्होंने कहा कि वह देशवासियों से पांच मिनट के लिए बात करना चाहते हैं, क्योंकि यह पाकिस्तान के लिए फैसले का वक्त है। उन्होंने कहा, 'हम दो रास्ते अपना सकते हैं। हमें तय करना होगा कि हम विनाश का रास्ता चुनना चाहते हैं या गर्व का रास्ता? इस रास्ते में कठिनाइयां होंगी, लेकिन यह हमारे पैगंबर का रास्ता है। यह रास्ता हमारे भले के लिए है। यह रास्ता देश में क्रांति लाने वाला है।'
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अपनी सरकार के खिलाफ 'विदेशी साजिश' की बात दोहराते हुए इमरान खान ने कहा, 'सरकार के खिलाफ साजिश हुई है। यह साबित हो गया है कि सरकार को गिराने के लिए राजनेताओं को बकरियों की तरह खरीदा जा रहा है। साजिश विदेशों में शुरू हुई, जिसे यहां के लोग मदद कर रहे हैं। इतिहास ऐसे लोगों को कभी नहीं भूलता। मैं चाहता हूं कि पाकिस्तान का इतिहास इन देशद्रोहियों को भी न भूले। यह आपकी जिम्मेदारी है। उन्हें मुगालते में रहने दें कि आपने सब भुला दिया है।' इस दौरान अमेरिका का एक बार फिर नाम लेते हुए इमरान खान ने कहा, 'सरकार के खिलाफ 'विदेशी साजिश' की बात साबित हो गई है। कैबिनेट, NSC और संसद की सुरक्षा समिति ने इसे देखा है। इसमें कहा गया है कि अगर आप इमरान खान को हटा देते हैं तो अमेरिका के साथ आपके संबंध बेहतर होंगे।'
युवाओं से 'शांतिपूर्ण प्रदर्शन' की अपील करते हुए इमरान खान ने यह नसीहत भी उन्हें दी कि वे सेना की आलोचना न करें। एक सवाल के जवाब में इमरान खान ने कहा, 'याद रखें, दो चीजें हैं जिन्होंने आज देश को एकजुट रखा है। पहला पाकिस्तान की सेना है, जो एक मजबूत और पेशेवर सेना है। यह देश के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि बहुत सारे देश पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरा पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी है, जिसने देश को जोड़े रखा है। हमें सेना की जरूरत है। इसने हमारे लिए बलिदान दिया है। इसलिए मैं चाहता हूं कि आप सेना की आलोचना न करें।'
पाक पीएम ने कहा कि वह उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे, जिन्होंने 'राष्ट्र को धोखा दिया।' वहीं रविवार को नेशनल असेंबली में अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान को लेकर पाक पीएम ने कहा कि पूरी बाजी ही अब पलट चुकी है और रविवार को वह विपक्ष को करारा जवाब देंगे।
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इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली में वोटिंग 3 अप्रैल को होनी है, जिसे पाकिस्तान की सियासत में बेहद अहम व निर्णायक माना जा रहा है। नंबर गेम में जहां इमरान खान पिछड़ते नजर आ रहे हैं, वहीं पहले ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वह पद से इस्तीफा नहीं देंगे और एक अनुभवी क्रिकेट खिलाड़ी की तरह आखिर बॉल तक खेलेंगे। इमरान खान ने इससे पहले 31 मार्च को राष्ट्र को लाइव संबोधित किया था, जिस दौरान उन्होंने अपनी सरकार को अस्थिर करने के पीछे 'विदेशी साजिश' का जिक्र करते हुए अमेरिका का नाम लिया था और विपक्ष पर उनसे मिलीभगत का आरोप लगाया था।
इमरान खान ने बाद में यह भी कहा कि सेना की ओर से उन्हें तीन विकल्प दिए गए, जिनमें से एक पद से इस्तीफा, दूसरा अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना और तीसरा मध्यावधि चुनाव का सामना करना था। उन्हें तीसरा विकल्प सही लगा और जहां तक अविश्वास प्रस्ताव का सवाल है तो वह आखिर तक लड़ने के लिए तैयार हैं। हालांकि पाक पीएम के दावे को सेना ने खारिज कर दिया और कहा कि सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ प्रधानमंत्री की मुलाकात सरकार के अनुरोध पर हुई थी। प्रधानमंत्री उनसे मिलना चाहते थे। इसमें हालात पर चर्चा हुई, पर सेना की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया।
वहीं, इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की बात करें तो 3 अप्रैल को इस पर होने वाली वोटिंग से पहले संसद की घेराबंदी कर दी गई है। संसद के चारों तरफ रेड जोन बना दिया गया है और इसमें केवल सांसदों को ही जाने की अनुमति दी गई है। संसद की तरफ जाने वाले रास्तों पर नाकेबंदी कर दी गई है। इस बीच नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग को रोकने के लिए सभी उपाय आजमाए जा रहे हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दी गई है, जिसमें इमरान सरकार को अपदस्थ करने के लिए 'विदेशी साजिश' के दावे का जिक्र किया गया है।
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वहीं कहा यह भी जा रहा है नंबर गेम में पिछड़ रहे इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सभी सांसद अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं ले सकते हैं और वे वोटिंग से पहले ही इस्तीफा दे सकते हैं, जिससे देश में मध्यावधि चुनाव की स्थिति बन सकती है, जिसकी संभावना इमरान सरकार सरकार के मंत्री पहले ही जता चुके हैं। इस बीच सेना और इमरान के संबंधों में तल्खी का एक और उदाहरण उस वक्त सामने आया, जब सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा की ओर से जारी एक बयान में रूस से यूक्रेन हमले को तत्काल रोकने का अनुरोध किया गया है तो अमेरिका को पाकिस्तान का 'ऐतिहासिक व सामरिक' सहयोगी बताया गया है, जिसका नाम इमरान खान ने अपनी सरकार को अपदस्थ करने के लिए 'विदेशी साजिश' का जिक्र करते हुए अपने संबोधन के दौरान लिया है।