पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोइज युसूफ का कहना है कि वो 10 नवंबर को अफगानिस्तान पर होने वाले कांफ्रेंस में शामिल होने के लिए भारत नहीं जाएंगे। अपने इस तर्क के पीछे उन्होंने कहा कि भारत पीसकीपर की भूमिका नहीं सकता। बता दें कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान को न्योता भेजा गया था।
चीन के भी शामिल होने की संभावना कम
पाकिस्तान के साथ साथ चीन के भी शामिल होने की संभावना कम है। चीन की तरफ से अभी इस संबंध में पुष्टि नहीं हो सकी है। पाकिस्तान के एनएसए से जब पूछा गया कि आखिर वो कौन सी वजह है जो उन्हें अफगानिस्तान पर होने वाली प्रेस कांफ्रेंस में शामिल होने से रोक रही है तो उनका जवाब था कि अफगानिस्तान को बर्बाद करने वाला देश कैसे पीसकीपर हो सकता है। इससे पहले पाकिस्तान की तरफ से न्योते की बात कही गई थी हालांकि बैठक में शामिल होने पर किसी आधिकारिक फैसले का जिक्र नहीं था। बता दें कि भारत ने रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्ता को भी न्योता दिया है।
अफगानिस्तान से अलग नहीं हो सकता पाकिस्तान
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि था कि उनका फैसला दोनों देशों के बीच तात्कालिक हालात पर निर्भर करेगा। युसूफ ने कहा कि जिस तरह से पश्चिमी मुल्कों ने खुद को अफगानिस्तान से हटाया ठीक वैसे ही पाकिस्तान फैसला नहीं कर सकता है। अब सवाल यह है कि आखिर वो कौन सी वजह है कि जो पाकिस्तान को कांफ्रेंस में शामिल होने से रोक रही है। इस विषय पर जानकारों का क्या कहना है समझना जरूरी है।
क्या है जानकारों की राय
जानकार कहते हैं कि अफगानिस्तान में भारत की सक्रियता को पाकिस्तान खुद के लिए नुकसानदेह समझता है। दरअसल पाकिस्तान नीति नियंताओं को लगता है कि भारत की मदद से अफगानिस्तान जितना समृद्ध होगा, उस सूरत में पाकिस्तान अपने एजेंडे को चला पाने में सक्षम नहीं होगा। लिहाजा वो इस तरह की हरकतों में शामिल होता है। जहां तक वो भारत को पीसकीपर देश मानने से इनकार कर रहा है तो वो सिर्फ उसकी निराशा है। पाकिस्तान अपने आपको शब्दों के जरिए बराबरी की भूमिका में देखता है लेकिन हकीकत से दुनिया अंजान नहीं है।