नई दिल्ली। पाकिस्तान अब किसी भी तरह से फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। एक तरफ वो आतंकियों या आतंकी संगठनों के खिलाफ दिखावटी कार्रवाई की बात करता है तो दूसरी तरफ भारत को भी जिम्मेदार मानता है। अनाडोलू न्यूज एजेंसी के मुताबिक कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तानी संसदीय समिति के अध्यक्ष शहरयार अफरीदी कहते हैं कि विदेशों में फैले भारतीयों की मदद से आरएसएस आतंकी वारदातों में शामिल है।
पाकिस्तान ने भारत पर आतंकवाद फैलाने का लगाया आरोप
एक तरफ पाकिस्तान वैश्विक स्तर पर इस तरह के आधारहीन आरोप लगा रहा है। लेकिन सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्स ने जिन 29 पाकिस्तानी नागरिकों की सूची को साझा किया है उसके मुताबित वो सभी किसी न किसी रूप में आईएसआईएस से जुड़े हुए हैं। लिस्ट के मुताबिक उन 29 नाम में 9 महिलाएं हैं। बड़ी बात यह है कि उन 9 महिलाओं के पास तुर्की या सूडान की नागरिकता है। खास बात यह है कि पाकिस्तान के लिए अक्टूबर में एफएटीएफ की बैठक महत्वपूर्ण है।
ग्रे टू ब्लैक होने का सता रहा है डर
अक्टूबर में इस बात पर फैसला होना है कि क्या पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाकर ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाए। पाकिस्तान की तरफ से शुक्रवार को अलग अलग आतंकी तंजीमों से जुड़े 88 आतंकियों की सूची संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सौंपी गई थी। इन संगठनों में दाइश, अल कायदा, और तालिबान का नाम शामिल है। पाकिस्तान को 2008, 2012 और 2015 में ग्रे लिस्ट में रखा गया था। 2018 के बाद वो आज की तारीख में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में और उसे आतंकवादी संगठनों से निपटने के लिए अक्टूबर तक का समय दिया गया है।
क्या है जानकारों की राय
जानकार बताते हैं कि हकीकत में पाकिस्तान के पास कोई रास्ता नहीं है। यह बात सच है कि चीन और तुर्की की तरफ से उसे समर्थन मिलता है। लेकिन खाड़ी के मुल्क उसकी बात पर भरोसा नहीं करते हैं। जहां तक भारत के खिलाफ आतंकवाद के संबंध में आरोप लगाने की बात है तो उसे वैश्विक स्तर पर कभी समर्थन नहीं मिला। भारत का ट्रैक रिकॉर्ड आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की रही है। इस समय पाकिस्तान किसी भी तरह से कोशिश कर रहा है कि वो एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में जाने से बच जाए और उसी क्रम में वो इस तरह के हथकंडे अपना रहा है।