रोम : ईसाइयों के धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का एक बयान इन दिनों सुर्खियों में है। पोप का यह बयान उस किताब को दिए इंटरव्यू का हिस्सा है, जो बुधवार को सामने आया है। इसमें एक इंटरव्यू के दौरान पोप ने स्वादिष्ट भोजन और सेक्स को लेकर बयान दिया था, जो चर्चा में बना हुआ है। पोप ने इसी पुस्तक के लिए दिए गए इंटरव्यू में अच्छी तरह से पके हुए भोजन या सेक्स से मिलने वाले सुख को 'दिव्य' बताया।
इतालवी लेखक कार्लो पेट्रिनी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यह भी कहा कि खुशी सीधे ईश्वर से आती है, यह न तो कैथोलिक है, न ईसाई और न ही कुछ और। यह तो बस दिव्य है। उन्होंने कहा कि चर्च ने हमेशा अमानवीय, क्रूर, अशिष्ट आनंद की निंदा की है, लेकिन मानवीय, सरल, नैतिक सुख को स्वीकार किया है। उन्होंने यह भी कहा कि 'अति उत्साही नैतिकता' के लिए कोई जगह नहीं है, जो खुशी को नकारती है।
पोप फ्रांसिस ने कहा कि यह सब अतीत में चर्च में अतीत में था, लेकिन धीरे-धीरे इस क्रिस्चन मैसेज का गलत अर्थ निकाला जाने लगा। पोप ने कहा, 'खाने का आनंद आपको खाने-पीने से स्वस्थ रखने के लिए है। ठीक उसी तरह जैसे कि यौन सुख प्यार को और अधिक सुंदर बनाने तथा प्रजातियों के स्थायित्व को सुनिश्चित करने के लिए है। खाने का आनंद और यौन सुख ईश्वर से मिलता है।'
दुनियाभर में करीब 1.3 अरब कैथोलिक ईसाइयों के आध्यात्मि गुरु पोप फ्रांसिस ने आनंद को लेकर अपना संदेश देते हुए Babette's Feast नाम की डेनमार्क की एक फिल्म का भी जिक्र किया, जो 1987 में आई थी। 19वीं सदी की पृष्ठभूमि में बनी यह फिल्म एक लॉटरी विजेता शेफ की कहानी है, जो धर्मनिष्ठ प्रोटेस्टेंट श्रद्धालुओं को एक भव्य भोज पर आमंत्रित करता है।