G-20 समिट में पीएम मोदी ने कहा- भारत अगले साल के अंत तक वैक्सीन की 5 अरब खुराक का उत्पादन करने को तैयार

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Updated Oct 31, 2021 | 06:34 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को इटली के रोम में जी-20 नेताओं से कहा कि भारत अगले साल के अंत तक 5 बिलियन से अधिक वैक्सीन खुराक का उत्पादन करने के लिए तैयार है।

Narendra Modi
जी 20 समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 

रोम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को रोम में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत अगले साल के अंत तक कोविड-19 टीके की पांच अरब खुराक का उत्पादन करने के लिए तैयार है। उन्होंने यह टिप्पणी कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत के योगदान को रेखांकित करते हुए की। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रमों की मीडिया को जानकारी देते हुए विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा की सुविधा देने पर भी जोर दिया और टीकाकरण प्रमाण पत्र को परस्पर आधार पर मान्यता देने की प्रणाली बनाने पर जोर दिया जिसके लिए यह व्यवस्था की गई है।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा भारत में विकसित कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल के लिए अधिकृत करने का फैसला लंबित है और सुझाव दिया कि इसे मंजूरी देने से भारत अन्य देशों की मदद कर सकता है।

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य निकाय का तकनीकी सलाहकार समूह तीन नवंबर को बैठक करने वाला है जिसमें वह कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल के लिए अधिसूचित करने के लिए अंतिम 'खतरा-लाभ आकलन' करेगा। उल्लेखनीय है कि भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन और एस्ट्राजेनेका व ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा तैयार कोविशील्ड का भारत में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है। मोदी ने महामारी के दौरान 150 देशों को की गई चिकित्सा आपूर्ति और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को कायम रखने में भारत के योगदान को भी रेखांकित किया।

श्रृंगला ने बताया कि मोदी ने यह टिप्पणी जी-20 बैठक के तहत आयोजित 'वैश्विक अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्वास्थ्य ' सत्र में हस्तक्षेप करते हुए की। लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की जरूरत पर जोर देते हुए मोदी ने भारत द्वारा किए गए साहसी आर्थिक सुधार पर बात की और जी-20 देशों को भारत को आर्थिक उभार और आपूर्ति श्रृंखला में विविधिकरण के लिए साझेदार बनाने के लिए आमंत्रित किया। श्रृंगला ने बताया कि मोदी ने महामारी से लड़ाई और भविष्य की वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं की पृष्ठभूमि में 'एक धरती, एक स्वास्थ्य' का दृष्टिकोण पेश किया।
 

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