Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच जंग 21 वें दिन भी जारी है। यूक्रेन के खारकीव, कीव से लेकर कई शहर खंडहर बनते जा रहे हैं। लेकिन वह घुटने टेके को तैयार नहीं है। सैन्य शक्ति के मामले में रूस जहां दुनिया का दूसरा सबसे ताकतवर देश हैं, वहीं यूक्रेन 22 वें नंबर पर है। कागजों पर बेमेल सा दिखता युद्ध यूक्रेन की इच्छा शक्ति के आगे रूस के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। ब्रिटेन की एक इंटेलिजेंस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब रूस के पास लड़ने के लिए केवल 10 दिन का हथियार बचा है। इसलिए रूस प्राइवेट आर्मी की मदद तेज कर रहा है। वहीं यूक्रेन को पश्चिमी देश हथियारों के साथ-साथ प्राइवेट आर्मी की मदद मिल रही हैं। जिसमें अजोव बटालियन भी उसके साथ है।
यूक्रेन को 16 हजार लड़ाकों की मदद
Anadolu Agency की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन को रूस से लड़ने के लिए करीब 16 हजार लड़ाकों की मदद मिली है। इसी तरह स्काई न्यूज की एक रिपोर्ट यह दावा करती है कि रूस की सेना की मदद के लिए निजी सैन्य कंपनी लीगा के सदस्य यूक्रेन पहुंचे हैं। जिन्हे पहले वैगनर के नाम से जाना जाता था। ऐसा ही बीबीसी की एक रिपोर्ट दावा करती है कि यूक्रेन में प्राइवेट आर्मी के लड़ाकों की भर्ती के लिए इश्तेहार निकाले जा रहे हैं। हालांकि उस इश्तेहार में इस बात का जिक्र नहीं है कि यह भर्तियां किसके लिए की जा रही है। जाहिर है रूस और यूक्रेन दोनों प्राइवेट आर्मी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इसके पहले यूक्रेन के नेशनल गार्ड ने एक वीडियो ट्वीट किया था, जिसमें ओजोव फाइटर्स को युद्ध के लिए तैयार होते दिखाया गया था। जिसे रूस के खूंखार चेचेन फाइटर के खिलाफ लड़ने की बात कही गई थी।
कौन है ओजोव ब्रिगेड
ओजोव एक प्राइवेट आर्मी है, जिसमें करीब 900 -1000 लड़ाके हैं। इन्हें अति-राष्ट्रवादी और नव-नाजी और श्वेत वर्चस्ववादी विचारधारा को समर्थन करने वाला माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब साल 2014 में क्रीमिया पर रूस ने हमला किया था, उस वक्त भी ओजोव ब्रिगेड ने यूक्रेन की सेना का साथ दिया था। और डोन्सटक पर रूस के कब्जे से पहले ओजोव ब्रिगेड ही सीमा पर डटी हुई थी। साल 2015 में ब्रिगेड के प्रवक्ता एंड्री डियाचेंको ने बाताय कि ओजोव के 10 से 20 प्रतिशत सिपाही नाजी थे। अजोव ब्रिगेड ने यूक्रेन के नागरिकों को भी रूस के खिलाफ प्रशिक्षण देने का काम किया।
रूस के साथ चेचन लड़ाके
इसके पहले रूस, यूक्रेन के प्रमुख नेताओं की हत्या के लिए चेचन लड़ाकों को भेज चुका है। चेचन्या के प्रधानमंत्री रमजान कादिरोव को रूस का प्रबल समर्थक माना जाता है। वह खुद को रूसी "फुट सोल्डर" कहते हैं। यहीं नही चेचन फोर्स को उनकी ताकत और बर्बरता की वजह से हंटर के नाम से भी जाना जाता है। और रूस की मदद के लिए करीब 10,000 चेचन सैनिकों को यूक्रेन भेजा गया है। चेचन एक ऐसे कई नृजातीय समूह (Ethnic Group) हैं जो हजारों वर्षों से उत्तरी काकेशस के ऊंचाई वाले इलाकों में रहते आए हैं। 1917 में, विभिन्न जातीय समूह, जिसमें बहुसंख्यक मुस्लिम थे, उन्होंने रूस से स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। लेकिन बाद में रूस से दो युद्ध हुए और साल 2000 में पुतिन ने अखमत केदिरोव को चेचन्या का नेता घोषित किया। अखमत केदिरोव पहले अलगाववादी थे, लेकिन बाद में रूस के साथ आ गए । 2007 में, अखमत कादिरोव एक बम विस्फोट में मारे गए। उसके बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उनके बेटे रमजान कादिरोव को उत्तराधिकारी के रूप में चुना और वह तब से रूसी समर्थक के रूप में देश चला रहे हैं।