Russia: रूस ने एडवांस लेजर सिस्टम 'कलीना' को किया तैनात, दुश्मन देश की इमेजिंग सैटेलाइट को अंधा बनाने में है सक्षम

Russia: इस प्रोजेक्ट को साल 2011 में शुरू किया गया था, लेकिन इसमें बार-बार देरी होती रही। वहीं गूगल अर्थ की ताजा तस्वीरों से पता चलता है कि काम अब काफी अच्छी तरह से चल रहा है।

Russia deployed advanced laser system Kalina capable of making the enemy country imaging satellites blind
रूस ने एडवांस लेजर सिस्टम 'कलीना' को किया तैनात। (सांकेतिक फोटो) 
मुख्य बातें
  • एडवांस लेजर सिस्टम 'कलीना' को रूस ने किया तैनात
  • दुश्मन देश की इमेजिंग सैटेलाइट को अंधा बनाने में सक्षम है कलीना
  • एंटी-सैटेलाइट हथियार है कलीना

Russia: दुनियाभर की कई मीडिया रिपोर्ट्स और स्पैस मैगजीन से पता चला है कि रूस ने एक नए एडवांस लेजर सिस्टम की तैनाती की है। रूस ने इसे उत्तरी काकेशस क्षेत्र में स्थित अपने अंतरिक्ष सर्विलांस केंद्र में इंस्टॉल किया है। रूस के इस ने लेजर सिस्टम का नाम कलीना है और ये रूस की धरती पर मंडराने वाली दुश्मन देश की इमेजिंग सैटेलाइट के ऑप्टिकल सिस्टम तो डायरेक्ट टारगेट कर सकता है। इस प्रोजेक्ट को साल 2011 में शुरू किया गया था, लेकिन इसमें बार-बार देरी होती रही। वहीं गूगल अर्थ की ताजा तस्वीरों से पता चलता है कि काम अब काफी अच्छी तरह से चल रहा है। कलीना Peresvet मोबाइल लेजर डैजलर का पूरक होगा, जो 2019 के आखिर से उपयोग में है।

एडवांस लेजर सिस्टम 'कलीना' को रूस ने किया तैनात

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thespacereview.com और bgr.com की रिपोर्ट के मुताबिक एंटी-सैटेलाइट हथियार रूसी रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित क्रोना स्पेस सर्विलांस सिस्टम का एक कंपोनेंट है। इसे पश्चिमी जेलेनचुकस्काया से कई मील दूरी पर रखा गया है। रूसी विज्ञान अकादमी की एस्ट्रोफिजिकल ऑब्जर्वेटरी भी इस हथियार से दूर नहीं है।

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एंटी-सैटेलाइट हथियार है कलीना

इस परिसर का उपयोग रूस द्वारा एक ऐसे सिस्टम को चलाने के लिए किया जा रहा है, जो रडार और लिडार दोनों का उपयोग करके सूचना देता है।1970 के दशक में रूसी सरकार इस परिसर का शुरुआती आइडिया लेकर आई थी, लेकिन ये 2000 के दशक की शुरुआत तक चलना शुरू नहीं हुआ था। स्पेस रिव्यू का कहना है कि हमें कलीना के अस्तित्व को निर्धारित करने के लिए ऑनलाइन पेपर और कोर्ट रिकॉर्ड्स से पता करना होगा। 

कई लोगों का मानना है कि कलीना एक एंटी-सैटेलाइट हथियार के तौर पर काम करता है और जो विदेशी सैटेलाइट को टारगेट बनाने की क्षमता रखता है। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं है कि कलीना सैटेलाइट के खिलाफ कितनी प्रभावी होगी। रूस ने 2011 में इस हथियार को विकसित किया था और संभव है कि रूस भविष्य में इसका इस्तेमाल करेगा।

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