यूक्रेन को 5 दिन बाद भी नहीं झुका पाए पुतिन,जेलेंस्की की ये रणनीति पड़ रही है रूस पर भारी !

दुनिया
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Feb 28, 2022 | 18:28 IST

Russia-Ukraine War Update: दुनिया को यही लगा था कि नंबर-2 रूस के आगे दुनिया में 22 वें नंबर की सैन्य क्षमता वाला यूक्रेन ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएगा।

Russia Ukraine Crisis
रूसी सेना के सामने मजबूती से खड़ा है यूक्रेन  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • यूक्रेन ने रूसी सेना को रोकने के लिए गुरिल्ला रणनीति अपना रखी है।
  • यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की सेना की वर्दी में सड़कों पर नजर आए। और नागरिकों को भरोसा दिलाया कि वह देश छोड़कर भागने वाले नही हैं।
  • केवल यूक्रेन की सेना युद्ध नहीं लड़ रही है बल्कि नागरिक लड़ रहे हैं। जिसकी वजह से रूस की मुश्किलें बढ़ी हैं।

Russia-Ukraine War Update: 24 फरवरी को जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था तो लगा था कि पुतिन (Vladimr Putin) एक-दिनों में अपने इरादों में कामयाब हो जाएंगे। क्योंकि दुनिया में 22 वें नंबर की सैन्य क्षमता वाला यूक्रेन , दुनिया में नंबर-2 रूस के आगे ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएगा। लेकिन दोनों देशों के बीच लड़ाई 5 वें दिन पहुंच गई है। और  यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) आत्मसमर्पण करने से इंकार कर दिया है। यही नहीं सोमवार को उन्होंने देश के नाम संबोधन में रूसी सेना से कहा कि 'जान बचाओ और भाग निकलो।' 

दो दिन में बदला जेलेंस्की का रवैया

जब रूस की सेना, युद्ध के पहले और दूसरे दिन तेजी से कीव की ओर पहुंच गई। तो उस वक्त जेलेंस्की काफी निराश थे। उन्होंने निराशा में बयान दिया था कि 
हमें इस जंग में रूस से लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया गया है। कौन हमारे साथ लड़ने के लिए तैयार है? मुझे कोई नहीं दिख रहा है। यूक्रेन को नाटो सदस्यता की गारंटी देने के लिए कौन तैयार है? हर कोई डरता है । लेकिन सोमवार को जेलेंस्की के बयान से साफ है कि उनका आत्मविश्वास लौट आया है। और वह सूचना युद्ध के साथ-साथ अपने आत्मविश्वास को प्रकट कर रहे हैं।

कैसे मिली ताकत

यूक्रेन की इस मजबूती पर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद जी खंडारे  टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से कहते हैं ' यूक्रेन के इस जज्बे को एक शब्द में बयां किया जा सकता है। और वह देशभक्ति है। यूक्रेन के लोगों ने ठान लिया है कि उन्हें अपना देश बचाना है। जिसने उन पर हमला किया उसका एक अलग मकसद है। लेकिन यूक्रेन के लोगों को तो देश बचाना है। और जब नागरिकों में ऐसी आस्था होगी तो देश क्यों नहीं बचेगा।
 
देखिए यूक्रेन ने वहीं किया जो पहले से होता आया है। उसने रूस की सेना को अंदर आने दिया और अब उसके बाद वह मजबूती से प्रतिरोध जता रहा है । छोटा देश किसी बड़े देश के सामने ऐसी ही रणनीति अपनाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय  रूस ने फ्रांस और जर्मनी की सेना को अंदर आने दिया, फिर जो किया वह तो इतिहास है। दूसरी बात जो सबसे अहम है कि  जब सभी देशवासियों का एक ही मकसद हो जाता है कि हमें अपना देश बचाना है तो फिर हिम्मत ही काम आती है। ऐसे में केवल यूक्रेन की सेना युद्ध नहीं लड़ रही है बल्कि नागरिक लड़ रहे हैं। अफगानिस्तान और वियतनाम में भी ऐसा हो चुका है।'

गुरिल्ला युद्ध आ रहा है काम

खंडारे कहते हैं 'यूक्रेन ने रूसी सेना को रोकने के लिए गुरिल्ला रणनीति अपना रखी है। जब कोई देश कमजोर होता है लेकिन बुद्धिमान होता है तो ऐसी रणनीति अपनाता है। और यह रणनीति बेहद कारगर भी साबित होती है।' राजधानी कीव समेत दूसरे शहरों में रूसी सेना से युद्ध के लिए सेना के साथ-साथ आम लोगों को भी हथियार दिए जा रहे हैं। लोगों से खुद राष्ट्रपति जेलेंस्की घरों के अंदर से रूसी सेना पर हमला करने को कह रहे हैं। महिलाएं भी युद्ध के मैदान में रूस की सेना के सामने डट  गई हैं। यूक्रेन के सांसद, शहरों के मेयर,सेलिब्रेटी से आम आदमी तक हथियार लेकर मैदान में उतर गए हैं।

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जेलेंस्की की नेतृत्व क्षमता सामने आई

ऐसी खबरें भी आई कि राष्ट्रपति जेलेंस्की यूक्रेन छोड़कर भाग जाएंगे। लेकिन उन्होंने न केवल इससे इंकार किया, बल्कि वह खुद सेना की वर्दी पहनकर सड़कों पर दिखे। और उन्होंने साफ कर दिया कि वह यूक्रेन छोड़कर नहीं जाने वाले हैं। जबकि उन्हें शरण देने के लिए ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने ऐलान कर दिया था और अमेरिका ने भी अपने सैन्य विमान पोलैंड भेजे थे। लेकिन जेलेंस्की ने इस मदद का जवाब देते हुए कहा कि  'मैं युद्ध में उतरा हूं, मुझे सलाह और वाहन नहीं, हथियार चाहिए ताकि मैं हमलावरों से अपने देश की रक्षा कर सकूं ।'

इसका भी यूक्रेन के लोगों पर सकारात्मक असर हुआ है। और बहुत से लोग हथियार लेकर यूक्रेन की सेना के सामने खड़े हो गए। इसका असर यह हुआ है कि जर्मनी, बेल्जियम, चेक गणराज्य , फ्रांस सहित कई देश यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई के लिए राजी हो गए। जिससे आने वाले दिनों में यूक्रेन को बड़ी संख्या में हथियार मिलेंगे। अब देखना यही है कि जब दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हो गई है तो कोई रास्ता निकलता है या नहीं।

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