करीब 68 दिन से रूस और यूक्रेन अनिर्णीत लड़ाई में हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की एक तरफ शांति और रूस से बातचीत की वकालत करते हैं कि लेकिन दूसरी तरफ वो आंकड़ों के जरिए बताते हैं कि रूस को उन्होंने किस हद तक नुकसान पहुंचाया है। इन सबके बीच रूस के राष्ट्रपति पुतिन वे कहा कि वो नाटो देशों के विरोधी नहीं हैं। लेकिन यूक्रेन के रवैये के खिलाफ हैं। अब ये दोनों बातें ऐसी हैं कि जिसमें दोनों पक्ष नतीजा भी चाहते हैं लेकिन झुकने के लिए तैयार नहीं हैं।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटनी गुटरेस ने मॉस्को के साथ साथ कीव का भी दौरा किया, हालांकि पुख्ता तौर पर वो कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थे। उन्होंने जवाब दिया कि वैश्विक हित के लिए जरूरी है कि दोनों देश वार्ता की मेज पर बैठ कर सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ें और समाधान खोजें। लेकिन सवाल यह है कि क्या पुतिन या जेलेंस्की अपने फैसलों से पीछे हटेंगे।
जेलेंस्की ने क्या कहा
राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इस सप्ताह कहा कि यूक्रेनी लोग हमलावर सैनिकों को मारना चाहते थे। जब उस तरह का रवैया मौजूद होता है, तो चीजों के बारे में बात करना मुश्किल होता है। इंटरफैक्स के मुताबिक जेलेंस्की ने कहा कि जो कुछ भी रूसियों ने अपने पीछे छोड़ दिया है उसके कारण वार्ता समाप्त होने की जोखिम अधिक है।
पुतिन का क्या कहना है
पुतिन ने जोर देकर कहा कि रूस डोनबास और यूक्रेन में 'विशेष सैन्य अभियान' से पहले निर्धारित सभी कार्यों को "बिना शर्त पूरा" करेगा। उन्होंने मंगलवार को कहा कि दोनों देश ऑनलाइन प्रारूप में बातचीत जारी रखे हुए हैं। मॉस्को में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के साथ अपनी बैठक की शुरुआत में, पुतिन ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वार्ता सकारात्मक परिणाम देगी।रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने वार्ता की धीमी गति के लिए यूक्रेन की असंगतता और हर बार खेल खेलने की इच्छा को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने यह भी कहा कि देश को "वाशिंगटन, लंदन और अन्य राजधानियों से बातचीत की प्रक्रिया को तेज नहीं करने के निर्देश मिल रहे थे।
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क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि यह बात सच है कि अगर नाटो देशों का समर्थन परोक्ष तौर पर नहीं मिलता तो यूक्रेन के लिए लड़ाई को इतनी लंबी खीच पाना संभव नहीं होता। अगर आप जेलेंस्की के बयान को देखें तो एक बात साफ है कि वो इस युद्ध को लंबा खीचना चाहते हैं। दरअसल अगर लड़ाई लंबी चलती है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस पर दबाव बनेगा कि उसने जो कुछ किया है वो जायज नहीं है। लेकिन अगर आप रूस के बयान को देखें तो वो कहते हैं कि वो यूक्रेन के खिलाफ नहीं है। अगर आप इतिहास की तरफ देखें तो यूक्रेन की तरफ से कुछ गुस्ताखी हुई जिसका असर रूस पर पड़ रहा था। वो इस तरह के हालात थे कि उनके पास इस तरह की कार्रवाई के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।