रूस की संसद के ऊपरी सदन ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को देश के बाहर सैन्य बल प्रयोग की अनुमति दे दी है। संसद की मंजूरी के बाद रूस के लिए यूक्रेन पर व्यापक आक्रमण का रास्ता साफ हो गया है। पुतिन ने इस संबंध में संसद के ऊपरी सदन को एक पत्र लिखा था। पुतिन ने एक दिन पहले यूक्रेन के विद्रोहियों वाले इलाकों की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी। इससे पहले, पश्चिमी देशों के नेताओं ने कहा था कि रूस के सैनिक यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में पहुंच गए हैं। वहीं अमेरिका ने रूस के इस कदम को आक्रमण बताया है।
कई यूरोपीय नेताओं ने कहा था कि पुतिन द्वारा स्वतंत्रता को मान्यता दिए जाने के बाद रूसी सैनिक पूर्वी यूक्रेन में विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में चले गए हैं। यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने कहा कि 2014 में अलगाववादी संघर्ष शुरू होने के बाद से रूसी सैनिक इस क्षेत्र में लड़ रहे हैं। मास्को इन आरोपों से इनकार करता है। ऊपरी सदन फेडरेशन काउंसिल के सदस्यों ने पुतिन को रूस के बाहर सैन्य बल का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया।
व्हाइट हाउस ने पूर्वी यूक्रेन में रूसी सैनिकों की तैनाती का जिक्र करते हुए रूस के इस कदम को अब आक्रमण करार दिया है। अमेरिका यूक्रेन संकट के प्रारंभ में इस शब्द का इस्तेमाल करने से हिचकिचाता रहा है। वहीं, राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि इस कदम के परिणामस्वरूप अमेरिका रूस पर कड़ी पाबंदियां लगाएगा।
रूस ने विद्रोहियों के कब्जे वाले यूक्रेन के जिन इलाकों को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया है, वहां पिछले चंद घंटो के दौरान रूस के हजारों सैनिक पहुंच चुके हैं। ब्रिटेन के समाचार पत्र डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन की सेना के खुफिया सूत्रों ने बताया है कि पिछले 12 घंटे के दौरान लुहांस्क में रूस के पांच हजार, दोनेस्क में छह हजार और हॉल्र्विका में डेढ़ हजार सैनिक पहुंचे हैं। रूस की सेना के विद्रोहियों के इलाके में घुसते ही लड़ाई तेज हो गयी है। यूक्रेन की ओर स्थित एक विद्युम संयंत्र में मंगलवार सुबह को धमाका हुआ, जिसमें यूक्रेन के दो नागरिक मारे गए और 12 अन्य घायल हो गए।
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