Russia-Ukraine War Exclusive: यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों से सुनिए महायुद्ध में कैसे हो रहा है गुज़ारा

Indians in Ukraine: यूक्रेन और रूस में जारी जंग के बीच भारतीय छात्रों को यूक्रेन से लाने के लिए सरकार का 'ऑपरेशन गंगा' जारी है। इस बीच बड़ी संख्या में छात्र अभी भी यूक्रेन में फंसे हैं जो अपनी आपबीती बता रहे हैं।

Russia-Ukraine War Exclusive Indian students who stuck in Ukraine tells that how the world is going through the war
Russia-Ukraine War: Ukraine में फंसे भारतीय छात्रों से सुनिए महायुद्ध में कैसे हो रहा है गुज़ारा? 
मुख्य बातें
  • यूक्रेन की कीव यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में फंसे हैं अभी भी कई भारतीय छात्र
  • बड़ी संख्या में भारतीय छात्र स्लोवाकिया बॉर्डर पर पहुंचे
  • सरकार ने छात्रों को लाने के लिए चलाया है 'ऑपरेशन गंगा'

Ukraine crisis and Indian Students: यूक्रेन में अभी भी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र फंसे हुए और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। इस बीच भारत सरकार ने आज कुछ नए कंट्रोल रूम नंबर और एक नया ट्वीटर हैंडल भी यहां फंसे लोगों के लिए जारी किया है। Ukraine के kyiv मेडिकल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में फंसी छात्रा Avantika Bhatt ने बताया कि जंग के माहौल में उन छात्र-छात्राओं का गुज़ारा कैसे हो रहा है जिनका अभी तक Indian Embassy से अभी तक संपर्क नहीं हो पाया है। वहीं दूसरी तरफ़ Ukraine-स्लोवाकिया बॉर्डर से भारतीय छात्र Shakib ने बताया कि कितनी दूर-दूर से लोग कई मुश्किलों का सामना करके बॉर्डर तक पहुंचे है।

कीव यूनिवर्सिटी में फंसी छात्रा ने बताई आपबीती

भारतीय मेडिकल छात्रा अवंतिका भट्ट ने बताया, 'हम लोग कीव यूनिवर्सिटी के मेडिकल हॉस्टल में हैं। अभी हम लोग वैसे रात में 5 बजे से लेकर सुबह 7 बजे तक यूनिवर्सिटी के बेसमेंट में रहते हैं। दिन में माहौल थोड़ा ठीक होने पर रूम में आ जाते हैं। वहां थोड़ा खा लेते हैं। पानी बिल्कुल खत्म हो गया है। मतलब कंडीशन बहुत खराब है यहां पर। एंबेसी से हमारा संपर्क नहीं हो पा रहा है, हम कोशिश कर रहे हैं सोशल मीडिया के माध्यम से भी कॉन्टेक्ट करने की। यहां अब रशियन ट्रूप्स आ चुके हैं और यहां पर कर्फ्यू लग गया है। हमें पता है कि राजधानी तक पहुंचने में सरकार को थोड़ा समय लगेगा लेकिन सरकार पर भरोसा है।' अवंतिका ने बताया कि कैसे स्थानीय लोग अपने अपार्टमेंट्स को खाली कर बंकरों में शिफ्ट हो चुके हैं।

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अन्य देशों की तुलना में भारत सरकार कर रही है सबसे अच्छा रिस्पॉन्ड

वहीं एक अन्य छात्र शकीब ने बताया, 'अभी हम लोग स्लोवाकिया के बॉर्डर पर हैं। एंबेसी वाले अभी आए हैं। बसों का वेट कर रहे हैं। हमारे साथ करीब 200 छात्र हैं। हमें यहां प्रोसेस पूरा करने में हमें 20 घंटे लगे। भारतीय एंबेसी को धन्यवाद देते हैं जिनसे हमें बहुत हेल्प मिली। हमारे कॉल उन्होंने सही समय पर उठाए। हमें पुलिस वाले वीडियो बनाने से यहां रोक रहे हैं। यहां पर प्रोजिसर बहुत लंबा है और माइनस 4 डिग्री टेंपरेचर है। यहां पर नाइजीरियन, पोलिश,  इजीप्ट, मोरक्को जैसे कई देशों के छात्र हैं लेकिन सबसे अच्छा रिस्पॉन्ड भारत सरकार कर रही है। नाइजीरियन तो सबसे ज्यादा पैनिक हैं उनकी सरकार से उन्हें ज्यादा हेल्प नहीं मिल पा रही है।'

घंटों तक लाइन में खड़े रहे छात्र

आदर्श राय नाम के एक भारतीय छात्र ने बताया,  'मैं रात को एक बजे स्लोवेकियन बॉर्डर पर पहुंचा लाइन में खड़ा रहा काफी देर इंतजार किया और मेन गेट तक पहुंचने में आठ बज गए लेकिन उन्होंने हमें एंट्री नहीं दी। फिर एंबेसी से बात हुई। फिर उन्होंने कहा कि 10 बज जाएंगे और अब जाकर एंबेसी के लोग आए हैं जो हमें लेकर जाएंगे। यहां रिफ्यूजी कैंप बने हुए हैं जहां खाना पीना भी यूक्रेन सरकार द्वारा मिल रहा है। हमें उम्मीद है कि यहां से अपने देश पहुंचने में हमें तीन से चार दिन लग सकते हैं। हमें बताया गया है कि हम ये सीधे स्लोवाकिया स्थित भारतीय एंबेसी जाएंगे और उसके बाद हमारी घर वापसी होगी।'

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