रूस ने चेताया-इस्लामिक आतंकवाद का गढ़ बन सकता है नगोरनो-काराबाख

आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच 27 सिंतबर से शुरू हुए टकराव ने युद्ध का रूप ले लिया है। दोनों देशों के बीच 1991 से 1994 के बीच हुई लड़ाई में करीब 30,000 लोगों की जान गई।

Russia warns that Nagorno-Karabakh could become Islamist militant stronghold।
रूस ने चेताया-इस्लामिक आतंकवाद का गढ़ बन सकता है नगोरनो-काराबाख।  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच 27 सिंतबर से शुरू हुआ टकराव
  • 25 सालों के बाद दोनों देशों के बीच एक बार फिर हिंसक संघर्ष शुरू हुआ है
  • रूस को आशंका है कि इस क्षेत्र में मध्य पूर्व के आतंकी और लड़ाके आ सकते हैं

मास्को : विवादित क्षेत्र नगोरनो-काराबाख क्षेत्र में आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच जारी संघर्ष पर रूस ने प्रतिक्रिया दी है। दोनों देशों के बीच हिंसक संघर्ष के 10वें दिन में प्रवेश करने पर रूस ने चेतावना जारी करते हुए कहा कि 'यह क्षेत्र अंतरराष्ट्री आतंकवादी संगठनों के लिए एक नया लॉन्च पैड साबित हो सकता है और यहां से आतंकवादी रूस में दाखिल हो सकते हैं।' नगोरनो-काराबाख क्षेत्र को लेकर आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच 25 सालों के बाद एक बार फिर हिंसक संघर्ष शुरू हो गया है। 

रूस के खुफिया एजेंसी के प्रमुख ने जताई चिंता
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने इस लड़ाई का अंत करने का आह्वान किया है जबकि रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ईरान के विदेश मंत्री के साथ फोन पर हुई बातचीत में इस 'भीषण लड़ाई पर गंभीर चिंता जताई है।' रूस की एसवीआर विदेशी खुफिया सर्विस के प्रमुख सर्गेई नारिस्कीन का कहना है कि यह संघर्ष  मध्य पूर्व के आतंकवादियों एवं लड़ाकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक नारिस्कीन ने एक बयान में कहा, 'संघर्ष वाले इलाके में सैकड़ों आतंकवादी पहले से मौजूद हैं। हजारों कट्टरवादी इस काराबाख युद्ध में पैसा बनाना चाहते हैं। '

'रूस में दाखिल हो सकते हैं आतंकवादी'
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि साउथ काकासस क्षेत्र 'अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के लिए नए लॉन्च पैड बन सकता हैऔ यहां से आतंकवादी रूस सहति अन्य देशों में दाखिल हो सकते हैं।' नारिस्कीन का यह बयान ऐसे समय आया है जब तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुट काउसोग्लू ने शांति बहाली के लिए मास्को को अपनी सक्रियता बढ़ाने की अपील की है। तुर्की अजरबैजान का करीबी सहयोगी देश माना जाता है।

1994 के बाद सबसे भीषण संघर्ष
आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच 27 सिंतबर से शुरू हुए टकराव ने युद्ध का रूप ले लिया है। दोनों देशों के बीच 1991 से 1994 के बीच हुई लड़ाई में करीब 30,000 लोगों की जान गई। अमेरिका, फ्रांस और रूस ने दोनों देशों से टकराव कम करने की अपील की है। रूस का आर्मीनिया के साथ रक्षा करार है। विशेषज्ञों का मानना है कि युद्ध अगर नहीं रुका और रूस को खतरा महसूस हुआ तो वह संघर्ष में उतर सकता है। नगोरनो-काराबाख क्षेत्र अजरबैजान के तहत आता है लेकिन इस पर स्थानीय आर्मीनियाई बलों का नियंत्रण है। यह 1994 में खत्म हुए युद्ध के बाद इस इलाके में सबसे गंभीर संघर्ष है।

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