2036 तक रूस का राष्ट्रपति बने रहेंगे व्लादिमीर पुतिन! जनमत संग्रह में मिले बंपर वोट 

दुनिया
एजेंसी
Updated Jul 02, 2020 | 07:37 IST

Vladimir Putin : व्लादिमीर पुतिन रूस में 2036 तक राष्ट्रपति पद पर बने रह सकते हैं। जनमत संग्रह में 77 प्रतिशत लोगों ने उनके पक्ष में मतदान किया है।

Russian voters agree to let Putin seek two more terms
रूस में 2036 तक राष्ट्रपति बने रह सकते हैं व्लादिमीर पुतिन।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • पुतिन को साल 2036 तक राष्ट्रपति बनाए रखने के लिए हुआ जनमत संग्रह
  • वोटिंग में शामिल 77 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि पुतिन बने रहें राष्ट्रपति
  • जनता की सहमति के बाद संविधान में संशोधन का रास्ता हुआ साफ

मॉस्को : रूस के राष्ट्रपति पद पर व्लादिमीर पुतिन के 2036 तक बने रहने के लिए मतदाताओं ने संविधान में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इसके लिए सप्ताह भर चला जनमत संग्रह का काम बुधवार को पूरा हो गया। इससे पुतिन के 16 साल और राष्ट्रपति पद पर बने रहने का रास्ता करीब-करीब साफ हो गया है। हालांकि, कई मीडिया रिपोर्टों में जनमत संग्रह के दौरान लोगों पर दबाव बनाने एवं अन्य अनियमितताओं का आरोप लगा है। जनमत संग्रह में हिस्सा लेने वाले करीब 77 प्रतिशत लोगों ने संविधान संशोधन के पक्ष में मतदान किया है। 

एक सप्ताह चली मतदान की प्रक्रिया
संविधान संशोधन कानून के जरिये पुतिन का वर्तमान कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें छह छह साल के दो अतिरिक्त कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति पद मिलना तय है। कोरोना वायरस महामारी के कारण भीड़भाड़ कम करने के उद्देश्य से पहली बार रूस में मतदान की प्रकिया एक सप्ताह तक चली है। संविधान में किए गए संशोधनों के लिए जनता को विश्वास में लेने के वास्ते पुतिन ने बड़े स्तर पर अभियान छेड़ा था।

आरोप भी लगे
हालांकि यह जनमत संग्रह पुतिन के सत्ता पर काबिज रहने के मकसद से कराया जा रहा है लेकिन जनता को मतदान करने के लिए मनाने के वास्ते अपनाए गए गैर पारंपरिक तरीकों और इसकी वैधता संदिग्ध होने के चलते उनकी छवि खराब भी हो सकती है। राजनीतिक विश्लेषक और क्रेमलिन के पूर्व राजनीतिक सलाहकार ग्लेब पाव्लोव्स्की ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे को दरकिनार कर पुतिन द्वारा मतदान कराया जाना उनकी संभावित कमजोरी को दर्शाता है।

'पुतिन को अपने करीबियों का विश्वास हासिल नहीं'
पाव्लोव्स्की ने कहा, 'पुतिन को अपने करीबियों का विश्वास हासिल नहीं है और वह इस बात को लेकर चिंतित हैं कि भविष्य में क्या होगा।' उन्होंने कहा, 'उन्हें इस बात का पुख्ता सबूत चाहिए कि जनता उनका समर्थन करती है।' मतदान प्रक्रिया समाप्त होने के साथ ही उस गोपनीय और हैरत भरे माहौल पर भी विराम लगेगा जिसकी शुरुआत पुतिन द्वारा जनवरी में दिए गए उस भाषण से हुई थी जिसमें उन्होंने संविधान संशोधन का पहली बार प्रस्ताव दिया था।

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