नई दिल्ली : फ्रांस में आतंकी घटनाओं के लिए इस्लामी आतंकवाद को जिम्मेदार ठहराए वाले राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बयान के खिलाफ कुछ बड़े मुस्लिम देश लामबंद हुए हैं और मैक्रों का विरोध किया है। वहीं, सऊदी अरब ने फ्रांस का समर्थन करते हुए नीस के एक चर्च में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। गुरुवार को हुए इस हमले में तीन लोगों की मौत हो गई। हमलावर ने एक महिला का गला काट दिया। इस हमले के खिलाफ फ्रांस के लोगों में काफी गुस्सा देखा जा रहा है।
ट्यूनीशियाई मूल का था हमलावर
गुरुवार को ट्यूनीशियाई मूल के हमलावर ने नीस के एक चर्च में एक महिला का गला काट दिया और दो अन्य लोगों की चाकू मारकर निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी। जांच में सामने आया है कि हमलावर अपने हाथ में कुरान की किताब और चाकू लेकर चर्च के अंदर घुसा था। इस हमले के बाद दुनिया के ज्यादातर देशों ने फ्रांस के साथ अपनी एकजुटता जाहिर की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हमले की निंदा करते हुए कहा है कि आतंकवाद से लड़ाई में भारत फ्रांस के साथ है।
पाक और तुर्की ने की है मैक्रों के बयान की आलोचना
धार्मिक कट्टरवाद दिए गए राष्ट्रपति मैक्रों के बयान की आलोचना एवं निंदा पाकिस्तान, तुर्की और मलेशिया ने की है। इन मुस्लिम देशों में मैक्रों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हुए हैं लेकिन सऊदी अरब ने आतंकी हमले की निंदा करते हुए फ्रांस के साथ एकजुटता जाहिर की। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने अपने एक ट्वीट में कहा, 'हम पीड़ित परिवार, लोगों एवं फ्रांस के प्रति अपनी संवदेना एवं सहानुभूति जताते हैं। हमारी कामना है कि घायल शीघ्र स्वस्थ हों।'
सऊदी अरब ने कहा-हम फ्रांस के साथ
एक अन्य ट्वीट में मंत्रालय ने कहा, 'हम इस बात को दोहराते हैं कि सऊदी अरब इस तरह की चरमपंथी कार्रवाई को सिरे से खारिज करता है। इस तरह की कार्रवाई किसी भी धर्म एवं मान्यताओं में जगह नहीं पा सकती। हम घृणा, हिंसा एवं चरमपंथ का बढ़ावा देने वाली मान्यताओं को खारिज करते हैं। हम नीस में हुए आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।'
फ्रांस में आतंकवाद के खिलाफ मैक्रों की सख्त कार्रवाई एवं उनके बयान की आलोचना पाकिस्तान, तुर्की सहित कुछ प्रुमुख मुस्लिम देशों ने की है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्डोगान ने कुछ दिनों पहले कहा कि मैक्रों को अपनी मानसिक दशा की इलाज कराने की जरूरत है। जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति का बयान समाज को बांटने वाला है और उनके बयान से चरमपंथ को बढ़ावा मिलेगा। पाकिस्तानी संसद में फ्रांस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी पारित हुआ।