Sri lanka Economic Crisis:बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने खुद को दिवालिया मान लिया है। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने मंगलवार को संसद को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीलंका दिवालिया हो चुका है। और इस आर्थिक संकट से अभी निजात नहीं मिलने वाली है, यह संकट अगले 2023 में भी जारी रहेगा। यही सच है और वास्तविकता है। श्रीलंका में विकराल महंगाई और लंबे बिजली की कटौती, खाने-पाने की वस्तुओं कि किल्लत से लोग परेशान हैं। और अब राजपक्षे परिवार के खिलाफ विद्रोह के बाद श्रीलंका को संकट से निकालने की कमान रानिल विक्रमसिंघे को सौंपी गई है।
अगस्त में राहत पैकेज
विक्रमसिंघे ने कहा संपन्न श्रीलंका इस साल गहरी आर्थिक मंदी में चला गया है और वहां पर खाद्य, ईंधन और दवाओं की किल्लत अभी बनी रहेगी। उन्होंने कहा है कि अगस्त में श्रीलंका IMF से राहत पैकेज के लिए बातचीत करेगा। जिसमें कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग प्लान पर भी चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि इस समय हम एक दिवालिया देश के रूप में समझौते के लिए बातचीत कर रहे हैं। विक्रमसिंघे ने कहा कि चूंकि हम एक दिवालिया देश की स्थिति में हैं। ऐसे में हमें आईएमएफ को कर्ज को चुकाने का एक अलग से टिकाऊ प्लान पेश करना होगा। और साथ ही उस प्लान से आईएमएफ के संतुष्ट होने पर ही आर्थिक सहायता मिलेगी।
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80 फीसदी जनता आधा पेट खा रही है खाना
श्रीलंका में आर्थिक संकट कितना गहरा है और खाने-पीने की चीजों की कैसी किल्लत है। इसे संयुक्त राष्ट्र संघ के ताजा आंकलन से समझा जा सकता है। उसके अनुसार श्रीलंका में 80 फीसदी जनता महंगाई और खाने-पीने की चीजों की किल्लत के कारण, भोजन दोनों समय नहीं कर पा रही है। श्रीलंका में इस समय पेट्रोल-डीजल की उपलब्धता नहीं के बराबर है और सरकार ने गैर जरूरी सार्वजनिक सेवाओं को भी ईंधन बचाने के लिए बंद कर दिया है।