कोलंबो: श्रीलंका में लगातार हो रहे प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति राजपक्षे ने देश में इमरजेंसी लागू कर दी है। आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में लोग लगातार सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है। इसी बीच विरोध प्रदर्शन को लेकर श्रीलंका के राष्ट्रपति ने वहां के कट्टरपंथी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है। श्रीलंका में गुरुवार की शाम डीजल नहीं था, जिससे परिवहन ठप हो गया एजुकेशनल बोर्ड के पास कागज और स्याही खत्म हो गई है, जिसके बाद परीक्षा अनिश्चितकाल के लिए टाल दी गई हैं।
हालात ऐसे हो गए हैं कि दिन में 13-13 घंटे बिजली काटी जा रही है। श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बुरे संकट से गुजर रहा है। देश में ऐसी आर्थिक तंगी आई है कि जो चाय आप 5 या 10 रुपये में यहां पीते हैं वहां वहीं चाय 100-150 रुपये में एक कप मिल रही है। पेट्रोल डीजल पूरे देश में खत्म हो गया है।अस्पतालों में जरूरी दवाएं खत्म हो चुकी हैं। ऐसा कई दिनों से चला आ रहा है और अब जनता के सब्र का बांध टूट चुका है।
श्रीलंका की मुख्य कमाई का स्रोत टूरिज्म के जरिए विदेशी मुद्रा कमाना था, लिहाजा लॉकडाउन के कारण वो पूरी तरह ध्वस्त हो गई. बार-बार के लाकडाउन ने जहां टूरिज्म को तबाह ही कर दिया वहीं स्थानीय व्यापारिक गतिविधियों पर भी बहुत बुरा असर पड़ा. विदेशी मुद्रा का भंडार तेजी से कम होने लगा। जिस कारण अब यहां बड़ा संकट पैदा हो गया है।
आपको बता दें श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग करते हुए सैकड़ों प्रदर्शनकारी उनके आवास के बाहर एकत्र हुए जिसके बाद 45 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और कोलंबो शहर के ज्यादातर इलाकों में कुछ देर के लिए कर्फ्यू लागू कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने बृहस्पतिवार को राजपक्षे सरकार के विरोध में नारे लगाए और उनके इस्तीफे की मांग की। पुलिस के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान पांच पुलिसकर्मी समेत कई लोग घायल हो गए और वाहनों को आग लगा दी गई।