Sri Lanka Economic Crisis: दो घटनाओं पर गौर करिए। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की पहली विदेश यात्रा भारत में होना और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की नेपाल यात्रा के दौरान बेल्ट रोड इनीशिएटिव (BRI) के लिए कोई समझौता नहीं किया जाना, ऐसे कदम हैं, जो दक्षिण पूर्व एशिया में बदलते समीकरण के शुरूआती संकेत कहे जा सकते हैं। खास तौर से जब श्रीलंका एक बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है, और उसकी मदद से चीन ने हाथ खींच लिए हैं।
नेपाल के क्या है संकेत
जिस तरह से पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनने के बाद शेर बहादुर देउबा चीन की जगह भारत आए, वह कूटनीतिक स्तर पर बड़ा संकेत हैं। क्योंकि देउबा के एक अप्रैल को भारत आने से पहले नेपाल में चीन के मंत्री वांग यी पहुंच चुके थे। और उस दौरान न केवल नेपाल के साथ चीन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट रोड इनीशिएटिव को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ। बल्कि नेपाल ने चीन से भी यह साफ कर दिया है कि वह इस समय कर्ज लेने की स्थिति में नहीं है। उसे अनुदान चाहिए। यानी नेपाल श्रीलंका, पाकिस्तान या मालदीव के तरह बड़ी-बड़ी परियोजनाओं के नाम पर कर्ज के बोझ तले नहीं दबना चाहता है।
चीन के कर्ज के तले दबे हैं कई देश
असल में नेपाल जिस कर्ज से बचना चाहता है, उसी कर्ज के बोझ के तले दक्षिण पूर्व एशिया के देश दबे हुए है। और इस समय श्रीलंका और पाकिस्तान उसके सबसे बड़े शिकार हैं। इंडियन काउंसिल ऑन ग्लोबल रिलेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, बंग्लादेश में कोविड-19 से पहले 150 अरब डॉलर का निवेश कर रखा है। इसमें से बड़ा निवेश BRI (Belt And Road Initiative) के तहत किया गया है। और चीन ने इन देशों के पॉवर,सड़क, रेलवे,बंदरगाह, पुल, हवाई अड्डों में प्रमुख रूप से निवेश कर रखे हैं।
देश | विदेशी कर्ज में चीन की हिस्सेदारी |
पाकिस्तान | 27.1 फीसदी |
श्रीलंका | 17.77 फीसदी |
मालदीव | 20 फीसदी |
बांग्लादेश | 6.81 फीसदी |
नेपाल | 3.39 फीसदी |
स्रोत: IMF, World Bank
भारत की तरफ देख रहा है श्रीलंका
इस समय जब श्रीलंका सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, तो उसकी मदद के लिए भारत के हाथ बढ़े हैं। और उसने अब तक 2 अरब डॉलर से ज्यादा का आर्थिक सहयोग भी दिया है। जिस तरह भारत श्रीलंका की मदद कर रहा है, उसका असर वहां के आम नागरिकों से लेकर खास नागरिकों में भी दिख रहा है। क्रिकेट खिलाफी अजुर्न रणतुंगा, सनथ जयसूर्या से लेकर अभिनेत्री जैकलिन फर्नांडीज तक भारत के प्रति आभार प्रकट कर रहे हैं। असल में श्रीलंका की आर्थिक बदहाली की एक बड़ी वजह उसका चीन पर अधिक भरोसा करना रहा है। उसके कुल विदेशी कर्ज में करीब 18 फीसदी कर्ज चीन का है। और ऊंची ब्याज दर की वजह से उसे चुकाना महंगा पड़ रहा है।
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भारत का बढ़ सकता है प्रभाव
जिस तरह श्रीलंका और नेपाल एक बार फिर से भारत के प्रति ज्यादा झुकाव दिखा रहे हैं और चीन से उनकी दूरी बढ़ रही है। वह कूटनीति के स्तर पर भारत के लिए मौका है। और इसका फायदा आने वाले दिनों में भारत उठा सकता है। जो कि द्विपक्षीय कूटनीतिक संबंधों से लेकर आर्थिक संबंधों के रूप में दिख सकता है।