काबुल : तालिबान अब अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में पहुंच गया है। हालांकि अभी यहां लड़ाई शुरू नहीं हुई है। तालिबान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि वे राजधानी को जोर-जबरदस्ती से अपने कब्जे में लेना नहीं चाहते हैं और इसके लिए बातचीत की प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं। तालिबान लड़ाकों को फिलहाल उस जगह पर रखा गया है, जहां से काबुल में दाखिल हुआ जा सकता है। इस बीच पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से लगने वाली अपनी सीमा बंद कर ली है।
समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के अब सभी बॉर्डर क्रॉसिंग पर तालिबान का कब्जा है। वहीं, अफगान मीडिया की रिपोर्ट क अनुसार, तालिबान ने एक बयान जारी कर कहा है कि वह देश की राजधानी पर किसी तरह की जोर-जबरदस्ती से कब्जा नहीं करना चाहता है और यहां शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण का पक्षधर है। उसने यह भी कहा कि 'विरोधी पक्ष' से बातचीत हो रही है, जिसके आधार पर फैसला लिया जाएगा।'
अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री अब्दुल सत्तार मीरजाकवाल ने कहा कि राजधानी काबुल पर हमला नहीं किया जाएगा और सत्ता हस्तांतरण शांतिपूर्ण तरीके से होगा। उन्होंने काबुल के लोगों को आश्वस्त किया कि सुरक्षा बल शहर की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। इस बीच खबर ऐसी भी आ रही है कि सत्ता हस्तांतरण के लिए तालिबान के प्रतिनिधि राष्ट्रपति पैलेस की तरफ बढ़ रहे हैं। ऐसे में चर्चा है कि काबुल के औपचारिक तौर पर तालिबान के हाथों में पड़ने की रिपोर्ट किसी भी वक्त आ सकती है।
अधिकारियों के मुताबिक, तालिबान के लड़ाके कलाकान, काराबाग और पघमान जिलों में मौजूद हैं। वे काबुल के बाहरी इलाके में दाखिल हो चुके हैं। उन्हें फिलहाल काबुल में नहीं दाखिल होने को कहा गया है। वे अपने कमांडर से अगले आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं। तालिबान के बढ़ते कदम के बीच काबुल में सरकारी कार्यालय के कर्मचरियों को रविवार सुबह अचानक उनके घर भेज दिया गया, जिसके बाद सेना के हेलीकॉप्टर आसमान में चक्कर लगाने लगे थे।
तालिबान के काबुल की तरफ बढ़ते कदम के बीच पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के साथ लगने वाली तोरखम सीमा पर अपने नाके को बंद कर दिया है। पाकिस्तान ने यह कदम तोरखम सीमा को तालिबान द्वारा कब्जे में लेने के बाद उठाया है। पाकिस्तान ने गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने रविवार को कहा कि तोरखम सीमा नाके को बंद करने का फैसला बॉर्डर पर असाधारण परिस्थिति के कारण लिया गया। पाकिस्तान पहले ही कह चुका है कि वह नए अफगान शरणार्थियों का बोझ नहीं सह सकता।