महिलाओं, लड़कियों को यौन गुलाम बनाता है तालिबान, दुनिया को रखनी चाहिए नजर

दुनिया
भाषा
Updated Aug 16, 2021 | 12:47 IST

अफगानिस्तान में अब तालिबान का शासन आ गया है। उसकी राजधानी काबुल पर उसने कब्जा जमा लिया है। वह महिलाओं, लड़कियों को यौन गुलाम बना कर रखता है।

Taliban makes women, girls sex slaves, world should keep an eye
तालिबान का आतंक  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • अफगान महिलाओं के लिए तालिबान की बढ़ती ताकत भयावह है।
  • 12 साल की उम्र के बाद लड़कियों को शिक्षा से वंचित किया जाएगा!

टोरंटो : जुलाई में अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद से, तालिबान ने तेजी से देश के बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर लिया है। राष्ट्रपति भाग गए हैं और सरकार गिर गई है। उनकी सफलता, अफगान बलों द्वारा प्रतिरोध की कमी और न्यूनतम अंतरराष्ट्रीय दबाव से उत्साहित तालिबान ने अपनी हिंसा तेज कर दी है। अफगान महिलाओं के लिए उनकी बढ़ती ताकत भयावह है। जुलाई की शुरुआत में, बदख्शां और तखर के प्रांतों पर नियंत्रण करने वाले तालिबान नेताओं ने स्थानीय धार्मिक नेताओं को तालिबान लड़ाकों के साथ ‘विवाह’ के लिए 15 वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियों और 45 वर्ष से कम उम्र की विधवाओं की सूची प्रदान करने का आदेश जारी किया। अभी यह मालूम नहीं हो सका है कि उनके हुक्म की तामील हुई है या नहीं। अगर ये जबरन विवाह होते हैं, तो महिलाओं और लड़कियों को पाकिस्तान के वजीरिस्तान ले जाया जाएगा और फिर से तालीम देकर ‘प्रामाणिक इस्लाम’ में परिवर्तित किया जाएगा।

महिलाओं और उनके परिवारों में गहरा भय 

इस आदेश ने इन क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं और उनके परिवारों में गहरा भय पैदा कर दिया है और उन्हें आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों की श्रेणी में शामिल होने और पलायन करने के लिए मजबूर किया है। अफगानिस्तान में मानवीय आपदा का आलम अपने पैर पसार रही है और पिछले तीन महीनों में ही 900,000 लोग विस्थापित हुए हैं।

पुरुष के बिना उनके घर से बाहर जाने पर पाबंदी

तालिबान का यह निर्देश इस बात की कड़ी चेतावनी देता है कि आने वाले दिनों में क्या होने वाला है और 1996-2001 के तालिबान के क्रूर शासन की याद दिलाता है जब महिलाओं को लगातार मानवाधिकारों के उल्लंघन, रोजगार और शिक्षा से वंचित किया गया, बुर्का पहनने के लिए मजबूर किया गया और एक पुरुष ‘‘संरक्षक’’ या महरम के बिना उनके घर से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी गई।

 12 साल की उम्र के बाद लड़कियों शिक्षा से वंचित करेगा

यह दावा करने के बावजूद कि उन्होंने महिलाओं के अधिकारों पर अपना रुख बदल लिया है, तालिबान के हालिया कार्यों और हजारों महिलाओं को यौन दासता की ओर ढकेलने के यह ताजा इरादे उसके दावों के खिलाफ नजर आते हैं। इसके अलावा, तालिबान ने 12 साल की उम्र के बाद लड़कियों को शिक्षा से वंचित करने, महिलाओं को रोजगार से प्रतिबंधित करने और महिलाओं को एक संरक्षक के साथ घर से निकलने की आवश्यकता वाले कानून को बहाल करने के अपने इरादे का संकेत दिया है।

शादी की आड़ में महिलाओं को यौन दासता में झौंकना 

पिछले 20 वर्षों में अफगान महिलाओं द्वारा प्राप्त लाभ खतरे में हैं, जिनमें विशेष रूप से शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी शामिल हैं। तालिबान में शामिल होने के लिए आतंकवादियों को लुभाने के उद्देश्य से पत्नियों की पेशकश करना एक रणनीति है। यह यौन दासता है, शादी नहीं, और शादी की आड़ में महिलाओं को यौन दासता में झौंकना युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध दोनों है।

जिनेवा कन्वेंशन के अनुच्छेद 27 में कहा गया है कि महिलाओं को उनके सम्मान पर किसी भी हमले के खिलाफ विशेष रूप से बलात्कार, जबरन वेश्यावृत्ति, या किसी अन्य प्रकार के अभद्र व्यवहार के खिलाफ संरक्षित किया जाना चाहिए। 2008 में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने संकल्प 1820 को यह घोषित करते हुए अपनाया कि बलात्कार और यौन हिंसा के अन्य रूप युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध हो सकते हैं। इसमें यौन हिंसा को समुदाय के नागरिक सदस्यों को अपमानित करने, उन पर हावी होने और उनमें डर पैदा करने के लिए युद्ध की एक रणनीति के रूप में मान्यता दी गई है।

जवाबी लड़ाई कैसे लड़ें

संयुक्त राष्ट्र को अफगानिस्तान में महिलाओं के खिलाफ और अत्याचारों को रोकने के लिए अब निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए। मैं स्थायी शांति लाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए चार नीतिगत कार्रवाइयों का प्रस्ताव करती हूं। वे संकल्प 1820 द्वारा निर्देशित हैं जो शांति प्रक्रिया में समान प्रतिभागियों के रूप में महिलाओं को शामिल करने के महत्व को रेखांकित करता है और सशस्त्र संघर्ष में नागरिकों के खिलाफ सभी प्रकार की लैंगिक हिंसा की निंदा करता है।

शांति प्रक्रिया को सद्भाव में आगे बढ़ने के लिए तत्काल युद्धविराम का आह्वान करना

यह सुनिश्चित करना कि अफगानिस्तान के संविधान, राष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय कानून में निहित महिलाओं के अधिकारों का सम्मान किया जाए। अफगान महिलाओं की सार्थक भागीदारी के साथ शांति वार्ता जारी रखने पर जोर दिया जाए। वर्तमान में, अफगान सरकार की टीम में केवल चार महिला शांति वार्ताकार हैं और तालिबान की ओर से कोई नहीं है।

महिलाओं के अधिकारों को बनाए रखने की उनकी प्रतिबद्धता पर सशर्त होना चाहिए

तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध हटाना महिलाओं के अधिकारों को बनाए रखने की उनकी प्रतिबद्धता पर सशर्त होना चाहिए। यूरोपीय संघ और अमेरिका, जो वर्तमान में अफगानिस्तान के सबसे बड़े दानदाता हैं, को महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा और रोजगार तक उनकी पहुंच पर सशर्त सहायता देनी चाहिए।

अफगानिस्तान और पूरे क्षेत्र में महिलाएं संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का स्वागत करेंगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यौन हिंसा के पीड़ितों को कानून के तहत समान सुरक्षा और न्याय तक समान पहुंच प्राप्त हो। अफगानिस्तान में स्थायी शांति, न्याय और राष्ट्रीय सुलह की मांग के व्यापक दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में यौन हिंसा के कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

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