नई दिल्ली: अफगानिस्तान में पाकिस्तान किस तरह से तालिबान के आतंकियों की मदद कर रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। अफगानिस्तान ने तो साफ कह दिया है कि पाकिस्तानी सेना आतंकियों की मदद कर रही है। अब पाकिस्तान के हरकतों की पोल खुल चुकी है। अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब ने पाकिस्तान पर सीधा हमला बोलते हुए कहा है कि अफगान बलों से लड़ने के लिए 15,000 आतंकवादी पाकिस्तान से अफगानिस्तान में प्रवेश कर सकते हैं।
मदरसों का कर रहा है इस्तेमाल
मोहिब ने कहा कि पाकिस्तान अपने यहां के मदरसों का इस्तेमाल तालिबान के लडाकों की भर्ती के लिए कर रहा है। उन्होंने कहा कि हर साल, अफगानिस्तान में तालिबान की हार हुई, लेकिन उनके पास स्वस्थ होने, पाकिस्तान में मदरसों से लोगों को फिर से भर्ती करने और अगले साल उन्हें वापस लाने का अवसर था। मोहिब ने कहा कि इस लड़ाई के मौसम में अफगानिस्तान में लड़ने के लिए 10,000 लड़ाके पाकिस्तानी मदरसों से आए हैं और खुफिया जानकारी से पता चलता है कि वे अफगानिस्तान की ओर आने वाले 15,000 नए रंगरूट हो सकते हैं।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने साधा पाक पर निशाना
इससे पहले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने भी पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा कि तालिबान के आतंकियों के आतंकी संगठन अल कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के साथ गहरे संबंध हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान को विद्रोहियों का गढ़ बनाना चाहता है। पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने हाल ही में 1971 में ढाका में समर्पण के दस्तावेज पर हस्ताक्षर की तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट की और कहा कि अफगानिस्तान में ऐसी तस्वीर नहीं है और न ही होगी।
सालेह ने लिखा, 'प्रिय पाक ट्विटर हमलावर, तालिबान और आतंकवाद इस तस्वीर के आघात को ठीक नहीं करेंगे। अन्य तरीके खोजें। हां, कल मैं एक सेकंड के एक अंश के लिए हिल गया, क्योंकि एक रॉकेट ऊपर उड़ गया और कुछ मीटर दूर उतरा।'