काबुल : अफगानिस्तान के जिलों को एक-एक कर अपने नियंत्रण में लेने वाला तालिबान अपनी मध्यकालीन सोच को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ने लगा है। हाल के दिनों में उसने देश में बिजली के टावर गिराए हैं और कई जगहों पर उसने विस्फोट से फाइबर ऑप्टिक्स उपकरणों को उड़ा दिया है जिससे लोगों को इंटरनेट कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो महीनों में तालिबान देश के बड़े भूभाग को अपने नियंत्रण में ले चुका है। अब वह हमले कर आईटी एवं अन्य बुनियादी संरचनाओं को नुकसान पहुंचाने में जुटा है।
फाइबर ऑप्टिक उपकरणों को विस्फोट से उड़ाया
रिपोर्ट के मुताबिक गत पांच जुलाई को तालिबान के लड़ाकों ने हेरान प्रांत के इस्लाम कला में विस्फोट से फाइबर ऑप्टिक उपकरणों को उड़ा दिया। लड़ाकों ने अन्य उपकरणों को भी नुकसान पहुंचाया। इस्लाम कला अफगानिस्तान का अहम बंदरगाह है यह ईरान सीमा से लगा हुआ है। इस जगह से शरणार्थी संकट पर कई अंतरराष्ट्रीय एनजीओ काम करते हैं। तालिबान लड़ाकों के हमलों से शहर में लोगों को इंटरनेट कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है।
दूरसंचार के 28 टावरों को गिराया
पिछले महीने एटीआरए की रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले तीन महीनों में तालिबान ने देश भर में दूरसंचार के 28 टावरों को गिराया है जबकि 23 एंटीनों को आशिंक रूप से नुकसान पहुंचा। इससे डिजिटल एवं मोबाइल संचार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट में देश में बिजली आपूर्ति करने वाले डीएबीएस के प्रवक्ता संगार नियाजी के हवाले से कहा गया कि पिछले छह महीनों में बिजली के 39 खंभों को गिरा दिया गया है। अफगानिस्तान अपनी जरूरत की 70 फीसदी बिजली का आयात इन खभों के जरिए पड़ोसी देशों से करता है।
कई प्रांतों में मुश्किल से मिल पा रही बिजली
नियाजी ने कहा, 'बिजली के कुछ खंभों को पूरी तरह गिरा दिया गया जबकि कुछ को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है। इससे कुंदुज, बघलान, काबुल, नांगरहार एवं परवान प्रांतों में बिजली की आपूर्ति बाधित हो गई है।' नियाजी ने हमलावरों का नाम नहीं लिया लेकिन अफगान सरकार ने बिजली इसके लिए तालिबान को जिम्मेदार ठहराया है। इन प्रांतों में लोगों को कुछ ही घंटे बिजली मिल पा रही है। बिजली की आपूर्ति बाधित होने से देश का छोटा आईटी सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। युवा पेशेवर अपना तकनीकी काम नहीं कर पा रहे हैं।
अफगानिस्तान में अभी डिजिटल पेमेंट की सुविधा नहीं
एक छात्र का कहना है कि 'काबुल में लोगों को कुछ घंटे ही बिजली मिल पा रही है। कभी-कभी मुश्किल से एक घंटे बिजली मिलती है। हम किसी तरह से अपने उपकरणों को चार्ज कर पाते हैं। ऑनलाइन कामकाज मुश्किल से हो पा रहा है। हम तकनीकी में दूसरे मुल्कों के मुकाबले काफी पीछे हैं। हमारे पास अभी तक ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा हो जानी चाहिए थी।'