दिल्ली। आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान दो तरह की बात करता है। आतंकी जब मारे जाते हैं तो पाकिस्तान की सरकार को वो शहीद नजर आते हैं। दरअसल पाकिस्तान की तरफ से आतंकवाद को लेकर दोहरा रवैया कोई नई बात नहीं है। गुरुवार की सुबह नगरोटा में एक टोल बूथ पर ट्रक में सवार चार आतंकियों को मार गिराया गया और उनके पास से बड़ी मात्रा में हथियारों की बरामदगी से उनके मंसूबों का पता चला कि वो किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने वाले थे।
बड़ी वारदात की फिराक में थे आतंकी
जिस ट्रक में सवार होकर जैश के आतंकी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए निकले थे उसे नाकाम कर दिया गया। लेकिन रेडियो पाकिस्तान ने जैश के मारे गए आतंकियों को शहीद का दर्जा दिया। अब सवाल यह है कि पाकिस्तान की इस हरकत पर कोई देश कैसे भरोसा करेगा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वो गंभीर है। हाल ही में ब्रिक्स की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने साफ कहा कि विश्व की प्रगति में आतंकवाद नासूर बन चुका है और इसके खात्मे के लिए हम सबको एक होना ही पड़ेगा।
पाकिस्तान का रवैया ही ऐसा है
जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान के साथ बड़ी समस्या यह है कि नॉन स्टेट एक्टर के खिलाफ वो खुलकर नहीं बोल सकते हैं। दरअसल भारत के खिलाफ सीधी लड़ाई का अंजाम वो देख चुके हैं और पाकिस्तान के रणनीतिकारों को छद्म युद्ध के लिए जैश जैसे आतंकी तंजीमों में खुद के लिए उम्मीद नजर आती है, लिहाजा वो अलग अलग समय पर अपनी सुविधा के मुताबिक बयान देते हैं। जहां तक नगरोटा में मारे गए आतंकियों का सवाल है उनके बारे में साक्ष्य समेत जानकारी सामने आई है और उसके बाद भी अगर पाकिस्तान इस तरह की बातें करता है तो भारत की चिंता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद ब खुद साबित हो जाती है।