Russia-Ukraine War:रूस और यूक्रेन के बीच डेढ़ महीने से चल रहे युद्ध के बीच कच्चा तेल नया विवाद का केंद्र बन गया है। अमेरिका और पश्चिमी देश जहां रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर उसकी कमर तोड़ना चाहते हैं। वहीं रूस इससे बचने के लिए डिस्काउंट स्ट्रैटेजी पर काम कर रहा है। इसके तहत वह दुनिया के प्रमुख देशों को डिस्काउंट रेट पर कच्चा तेल सप्लाई करने का ऑफर दे रहा है। उसकी यही ऑफर अमेरिका को खटक रहा है। खास तौर से वह भारत को रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदने की अपील भी कर रहा है और धमकी भी दे रहा है।
अमेरिका क्यों कर रहा है विरोध
असल में अमेरिका की इस रणनीति के पीछे दो वजहें हैं। एक तो वह रूस पर प्रतिबंध लगाकर उसकी कमर तोड़ना चाहता है। दूसरा रूस के खरीददार तोड़कर वह अपने और उसके मित्र देशों के लिए बाजार तैयार करना चाहता है। जहां तक भारत की बात है तो वह दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक देश है। और उसने साफ कर दिया है कि वह व्यापारिक हितों को लिए स्वतंत्र है।
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भारत ही नहीं ये देश भी खरीद रहे हैं कच्चा तेल
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका ने रूस से कच्चे तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि इस बीच रविवार को रूसी सुरक्षा काउंसिल के डिप्टी सेक्रेटरी मिखाइल पोपोव ने दावा किया कि यूक्रेन युद्ध के दौरान ही पिछले सप्ताह अमेरिका ने रूस से 43 फीसदी ज्यादा तेल खरीदा है।
रिपोर्ट के अनुसार भारतीय तेल कंपनियों ने रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से करीब 16 मिलियन बैरल के ऑर्डर दिए हैं। इनके अलावा जर्मनी की सबसे बड़ी रिफाइनरी माइरो में सप्लाई कर रही है। इसी तरह चीन, हंगरी, बुल्गारिया, इंडोनेशिया, नीदरलैंड आदि देशों की रिफाइनरी कंपनियां भी रूस से कच्चा तेल खरीद रही हैं।
युद्ध से महंगा हुआ कच्चा तेल
रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध के बाद महंगाई ने पूरी दुनिया में बजट बिगाड़ दिया है। कच्चा तेल (Brent oil) 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना हुआ है। इसकी वजह से भारत में ही 22 मार्च के बाद से 10 रुपये तक पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ गई हैं। इसी तरह सीएनजी की कीमतें भी बढ़ी है। ऐसे में रूस का डिस्काउंट ऑफर थोड़ी राहत दे सकता है।
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