वाशिंगटन : इमरान खान के अमेरिका दौरे से पहले ठीक ट्रंप प्रशासन ने मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की गिरफ्तारी को लेकर पाकिस्तान की मंशा पर संदेह जताया है। हाफिज को 17 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद ट्रंप ने एक अजीबोगरीब ट्वीट करते हुए कहा था और उसे 10 वर्षों की खोज के बाद गिरफ्तार किया गया। हालांकि ट्रंप का यह ट्वीट न तो भारत में और न ही अमेरिका में लोगों के गले उतरा। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की एक समिति ने यह कहते हुए राष्ट्रपति के दावों को खारिज कर दिया कि पाकिस्तान हाफिज को ढूंढ नहीं रहा था, बल्कि वह वहां खुली छूट के साथ रह रहा था।
इस मामले में राष्ट्रपति के घिरने के बाद अब ट्रंप प्रशासन ने हाफिज की गिरफ्तारी को लेकर पाकिस्तान की मंशा पर संशय जताया है। ट्रंप प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, 'हमने यह पूर्व में भी होते हुए देखा है और हम निरंतर व ठोस कार्रवाई चाह रहे हैं, महज दिखावा नहीं।' उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में हुई हाफिज की गिरफ्तारियों से न तो उसकी और न ही उसके संगठन लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों पर कोई फर्क पड़ा।' ट्रंप प्रशासन के शीर्ष अधिकारी का यह बयान इमरान खान के अमेरिका दौरे से ठीक पहले आया है, जो शनिवार को तीन दिवसीय दौरे पर अमेरिका के लिए रवाना हुए।
इमरान के अमेरिका दौरे से ठीक पहले हुई हाफिज की गिरफ्तारी को पाकिस्तान द्वारा अमेरिका को खुश करने की कोशिश के तौर पर देखा गया, ताकि वह वित्तीय सहायता हासिल कर सके, जिस पर अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाने के कारण बीते करीब डेढ़ साल से रोक लगा रखी है। हालांकि ट्रंप प्रशासन के अधिकारी का यह नया बयान पाकिस्तान के लिए झटके की तरह हो सकता है, जिसमें उन्होंने साफ कहा है कि हाफिज की गिरफ्तारी को लेकर उसे पाकिस्तान पर बहुत भरोसा नहीं है। ट्रंप प्रशासन के अधिकारी ने यह भी कहा, 'इन समूहों को पाकिस्तानी सेना की खुफिया सेवाओं से किस तरह का समर्थन मिलता है, इसे लेकर हमें कोई भ्रम नहीं है। इसलिए हम ठोस कार्रवाई चाह रहे हैं।'
उन्होंने कहा कि यह सातवीं बार है जब हाफिज को गिरफ्तार किया गया है। उसे पूर्व में भी गिरफ्तार किया गया और रिहा किया गया है, इसलिए अमेरिका इसे लेकर भ्रम में नहीं रह सकता। उन्होंने कहा, 'हम देखना चाहते हैं कि पाकिस्तान इन लोगों के खिलाफ सचमुच कार्रवाई करे।' ट्रंप प्रशासन के शीर्ष अधिकारी के इस बयान से पहले अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में भी साफ कहा था कि पाकिस्तान कई इस्लामी चरमपंथियों एवं आतंकवादी समूहों का पनाहगाह है और उसे सुरक्षा सहायता नहीं मिलेगी। पाकिस्तान द्वारा आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से नाराज अमेरिका ने जनवरी 2018 में उसे दी जाने वाली सुरक्षा सहायता पर रोक लगाने का ऐलान किया था।