पेरिस/अंकारा : फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हाल ही में कहा कि देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बचाने पर जोर देते हुए कहा कि आने वाले महीनों में इसके लिए एक नया विधेयक लाया जाएगा, जिसके तहत मस्जिदों में विदेशों से होने वाली फंडिंग के बेहतर नियंत्रण की व्यवस्था होगी। उन्होंने यह भी कहा कि दुनियाभर में इस्लाम के साथ 'संकट' है। उनके बयान पर तुर्की व मुस्लिम जगत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दवान के प्रवक्ता ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति के इस बयान को खतरनाक और उकसावे वाला बताया है और कहा कि इससे इस्लामोफोबिया और मुस्लिम विरोधी भावनाओं को बढ़ावा मिलेगा। तुर्की के राष्ट्रपति के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने फ्रांस के राष्ट्रपति के बयान को तार्किक सोच से परे बताया और कहा कि कुछ देश अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए इस्लाम को बलि का बकरार बना रहे हैं।
तुर्की की यह प्रतिक्रिया फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा 'इस्लामिक कट्टरवाद' की रोकथाम को लेकर बीते शुक्रवार को योजना पेश किए जाने के बाद आई है। फ्रांस के राष्ट्रपति ने अपने एक संबोधन के दौरान इसका ऐलान किया था। उन्होंने कहा था, 'इस्लाम एक ऐसा धर्म है, जो आज दुनियाभर में संकट में है, ऐसा हम सिर्फ अपने देश में नहीं देख रहे हैं।'
मैक्रों का यह संबोधन ऐसे समय में आया है, जबकि फ्रांस में तकरीबन 18 महीने बाद राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं और पर्यवेक्षकों के अनुसार फ्रांस में सार्वजनिक सुरक्षा की बढ़ती चिंताओं के बीच मैक्रों को दक्षिणपंथी पार्टियों की तरफ से चुनौती मिल रही है। मैक्रों ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि यह कदम फ्रांस में कट्टरपंथी इस्लाम के उभार को रोकने और आपसी सामंजस्य मजबूत करने के लिए उठाया जा रहा है।