नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच दो फैसलों ने परमाणु हमले के खतरे को बढ़ा दिया है। एक तरफ रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने परमाणु निवारक बल (Russian Nuclear Deterrent Forces) को हाई अलर्ट कर दिया है। दूसरी तरफ बेलारूस ने गैर परमाणु देश के दर्जे को खत्म कर दिया है। यानी अब रूस बेलारूस में परमाणु हथियारों की तैनती कर सकेगा। रूस और बेलारूस के इस फैसले से यूक्रेन को 1994 में किया गया वह समझौता जरूर परेशान कर रहा होगा। जिसमें उसने अपने सारे परमाणु हथियार रूस को सौंप दिए थे। बीते बृहस्पतिवार को गुरुवार यूक्रेन के सांसद एलेक्सी गोंचारेंको इस बात पर खेद भी जता चुके है। उन्होंने कहा था कि यूक्रेन ने पश्चिमी देशों से सुरक्षा गारंटी के तहत अपने परमाणु हथियार छोड़ दिए थे।
तीसरा सबसे बड़ा परमाणु हथियारों वाला देश था यूक्रेन
एलेक्सी गोंचारेंको जिस फैसले की बात कर रहे हैं, वह 1994 का है। जिसमें यूक्रेन ने रूस और अमेरिकी की तरफ से सुरक्षा गारंटी मिलने के बाद एनपीटी (Non-Proliferation of Nuclear Weapons Treaty) पर हस्ताक्षर किए थे। आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद जब यूक्रेन अलग हुआ तो वह परमाणु हथियारों की संख्या के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश था। उस वक्त यूक्रेन के पास 1900 परमाणु हथियारों को ले जाने वाले हथियार, 176 अंतर महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (ICBMs) और 44 परमाणु बम थे। लेकिन 5 दिसंबर, 1994 को बुडापेस्ट में यूक्रेन, बेलारूस और कजाखिस्तान, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका नेताओं ने मिलकर बुडापेस्ट मेमोरेंडम पर समझौता किया। और इसी के तहत यूक्रेन एनपीटी समझौते में शामिल हुआ।
रूस के क्यों देने पड़े हथियार
सोवियत संघ का पतन होने के बाद रूस के करीब एक तिहाई परमाणु हथियार यूक्रेन में ही रह गए। ऐसे में रूस को इस बात की चिंता थी कि अगर यूक्रेन उसे वापस नहीं करेगा, तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। अपने हथियारों को रूस को वापस देने के फैसले के बदले में उसे अमेरिका से आर्थिक सहायता मिली । लेकिन आज वह फैसला यूक्रेन को कचोट रहा है।
रूस के पास कितने परमाणु हथियार
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट की रिपोर्ट के अनुसार रूस के पास दुनिया के सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं। उसके पास 5977 परमाणु हथियार है। जबकि अमेरिका के पास 5428 हथियार हैं। जो कि दुनिया के कुल परमाणु हथियारों का करीब 90 फीसदी है। रूस अब इसी ताकत के बल पर न केवल यूक्र्न बल्कि दुनिया देशों को धमका रहा है। अगर उस पर यूक्रेन हमले की वजह से आर्थिक प्रतिबंध सख्त किए गए तो उसका बड़ा खामियाजा उठाना पड़ेगा।