नई दिल्ली : अफगानिस्तान में अपना राज स्थापित करने के बाद तालिबान अपना असली चेहरा दिखाने लगा है। उसके प्रवक्ता और राजनीतिक वार्ता करने वाले उसके नेताओं की कथनी-करनी में अंतर साफ दिखने लगा है। तालिबान के प्रवक्ता एवं दोहा में अफगान सरकार से वार्ता करने वाले उसके नेता भले ही शांति और सभी को साथ लेकर चलने की बात कहते हों लेकिन जमीनी हकीकत कुछ दूसरी सामने आ रही है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से एक रिपोर्ट जारी हुई है। इस रिपोर्ट में तालिबान के खतरे को लेकर आगाह किया गया है।
तालिबान ने बनाई है 'प्राथमिकता सूची'
तालिबान के खतरे का आंकलन करने वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो सैनिकों के साथ काम करने वाले लोगों को तलाशने के लिए तालिबान लड़ाकों ने अपना अभियान तेज कर दिया है। वे घर-घर जाकर ऐसे लोगों की तलाश कर रहे हैं। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक इस गोपनीय रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने ऐसे लोगों की 'प्राथमिकता सूची' बनाई है। तालिबान धमकी दे रहा है कि 'वांछित' लोग अगर सामने नहीं आए तो वह उनके परिवार के सदस्यों की हत्या अथवा उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी दे रहा है।
स्वतंत्रता दिवस समारोह मना रहे लोगों पर फायरिंग
पिछले कुछ दिनों में तालिबान का क्रूर चेहरा दुनिया के सामने आया है। उसने अफगानिस्तान स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाने के लिए सड़कों पर आए लोगों पर सख्ती की है। बताया जा रहा है कि असादाबाद की सड़कों पर आजादी का जश्न मना रहे लोगों पर उसने फायरिंग की और इस गोलीबारी में कथित रूप से दो लोगों की मौत हो गई। जलालाबाद में भी तालिबान लड़ाकों ने अफगानिस्तान का झंडा लहरा रहे लोगों पर फायरिंग की। इस फायरिंग में एक व्यक्ति और एक किशोर लड़का घायल हुए।
आतंकवाद के खिलाफ पश्चिमी देशों की लड़ाई कमजोर होगी
संयुक्त राष्ट्र के लिए अपनी रिपोर्ट तैयार करने वाले नार्वे सेंटर फॉर ग्लोबल एनालिसिस के एक्जीक्यूटिव डाइरेक्टर क्रिश्चियन नेलमैन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, 'जिन लोगों ने हार मानने से इंकार कर दिया है, तालिबान उन लोगों के परिवार को निशाना बना रहा है। वह उन लोगों के परिवार के सदस्यों को शरिया कानून के तहत सजा दे रहा है। हमें आशंका है कि तालिबान का कहर नाटो और अमेरिकी बलों के साथ काम कर चुके लोगों और उनके परिवारों पर टूटेगा। इससे तालिबान, आईएसआईएस और अन्य आतंकवादी संगठनों से लड़ने में पश्चिमी खुफिया एजेंसियों को जो लॉजिस्टिक बढ़त हासिल हुई है, उसे नुकसान पहुंचेगा।'