संयुक्त राष्ट्र : रूस और यूक्रेन के बीच बीते एक महीने से जारी जंग के बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा में बहुमत से एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें रूस को यूक्रेन में पैदा हुए मानवीय संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। इस प्रस्ताव के पक्ष में 140 वोट पड़े, जबकि पांच देशों ने रूस का साथ देते हुए इसके खिलाफ मतदान किया। वहीं भारत सहित 38 देश ऐसे रहे, जो इस प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहे।
भारत अब तक यूक्रेन संकट पर तटस्थ रवैया अपनाए हुए है और दोनों पक्षों से लगातार शांति की अपील कर रहा है। इससे पहले रूस की ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जब प्रस्ताव लाया गया था, तब भी भारत इस पर मतदान से दूर रहा था। प्रस्ताव के पक्ष में केवल दो वोट पड़े थे, जिनमें से एक तो रूस का ही था, जबकि दूसरा वोट चीन का था। रूसी प्रस्ताव में यूक्रेन की बढ़ती मानवीय जरूरतों को तो स्वीकार किया गया था, लेकिन रूस के हमले का कोई जिक्र नहीं था।
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इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन में मानवीय संकट के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रस्ताव लाया गया, जो 140 देशों के समर्थन से पारित हो गया। भारत यह कहते हुए प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहा कि दोनों पक्षों द्वारा शत्रुता खत्म किए जाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। भारत ने तत्काल मानवीय सहायता की पहुंच का भी आह्वान किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि मसौदा प्रस्ताव इन चुनौतियों पर भारत के अपेक्षित बिंदुओं को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करता है।
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यूक्रेन के हालात पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए भारत ने कहा कि युद्ध के कारण बड़े पैमाने पर लोगों की जान गई है, जबकि लगभग 1 करोड़ लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत अब तक दी गई मानवीय सहायता के नौ अलग-अलग चरणों के हिस्से के रूप में यूक्रेन और उसके पड़ोसियों को 90 टन से अधिक मानवीय आपूर्ति पहले ही भेज चुका है। उन्होंने कहा कि मानवीय गतिविधयों को हमेशा मानवीय सहायता के सिद्धांतों द्वारा ही निर्देशित किया जाना चाहिए, इनका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।