वाशिंगटन : उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच अरसे से किस तरह के तनावपूर्ण संबंध रहे हैं, यह कोई छिपी बात नहीं रह है। उत्तर कोरिया में तानाशाही, नागरिकों की स्वतंत्रता और अधिकारों के दमन से परेशान बड़ी संख्या में लोग वहां से निकलना चाहते हैं। लेकिन कड़े सुरक्षा पहरे के बीच ऐसा करना आसान नहीं होता। जोखिम लेकर उत्तर कोरिया से बाहर निकलने वाली येओनमी पार्क ने वहां के हालात को बयां किया है तो यह भी बताया है कि उत्तर कोरिया में स्कूली पढ़ाई के दौरान भी किस तरह अमेरिका को नीचा दिखाते हुए उदाहरण दिए जाते हैं।
जान को जोखिम में डालकर उत्तर कोरिया से भागकर चीन की सीमा होते हुए दक्षिण कोरिया और फिर अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पहुंचने के बाद भी हालांकि पार्क को निराशा ही हाथ लगी, जहां उन्हें पढ़ाई के दौरान चीजों को अलग चश्मे से देखने की उम्मीद थी। नॉर्थ कोरिया की इस डिफेक्टर ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अपने अनुभव के आधार पर जो कुछ भी कहा है, वह हैरान करने वाला है। उसका कहना है कि अमेरिका का भविष्य भी उत्तर कोरिया जितना ही निराशाजनक है। यहां तक कि उत्तर कोरिया में भी इस तरह का पागलपन नहीं है।
वाशिंगटन एग्जामिनर की एक रिपोर्ट के अनुसार, 27 साल की पार्क को 2016 में एक दक्षिण कोरियाई यूनिवर्सिटी से कोलंबिया यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर किया गया था, लेकिन वहां उसके अनुभवों ने उसे और परेशान कर दिया। पार्क के अनुसार, 'मुझे उम्मीद थी कि मैं एक बड़ी धनराशि, अपना सारा वक्त और ऊर्जा यह सीखने में लगा रही हूं कि किसी भी चीज के बारे में सोचने का सही तरीका क्या हो सकता है? लेकिन वे आपको उस तरह से सोचने पर मजबूर कर रहे होते हैं, जैसे वे चाहते हैं कि आप सोचें।'
पार्क के अनुसार, 'मुझे लगता था कि अमेरिका अलग है, लेकिन मैंने यहां ऐसी कई समानताएं देखीं, जिसने उत्तर कोरिया में मुझे परेशान किया था।' उसका मानना है कि अमेरिका के शैक्षणिक संस्थान अब अपने छात्रों को आलोचनात्मक तरीके से सोचने की क्षमता से वंचित कर रहे हैं, जैसा कि उन्होंने उत्तर कोरिया में अनुभव किया था।