नई दिल्ली : अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने अपने नागरिकों से काबुल एयरपोर्ट की तरफ न जाने की अपील की है। इन तीनों देशों को आशंका है कि अफगानिस्तान में मौजूद आईएसआईएल का धड़ा इस्लामिक स्टेट इन खोरासन प्रोविंस (आईएसकेपी) एयरपोर्ट पर हमला कर सकता है। इस हमले को लेकर इन देशों ने अपने नागरिकों को आगाह किया है। अमेरिका ने 31 अगस्त तक अपनी सेना पूरी तरह से निकाल लेने की घोषणा की है। इसे देखते हुए नाटो के देश यह समयसीमा खत्म होने से पहले अपने नागरिकों एवं सैनिकों को वहां से निकालना चाहते हैं। 31 अगस्त की तारीक नजदीक आते देख देशों ने अपना रेस्क्यू ऑपरेशन तेज कर दिया है।
देशों ने अपने नागरिकों से एयरपोर्ट छोड़ने के लिए कहा
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास की ओर से जारी एडवाइजरी में अमेरिकी नागरिकों को एयरपोर्ट की यात्रा करने से बचने के लिए कहा गया है। एडवाइजरी में कहा गया है जो अमेरिकी नागरिक पहले ही एयरपोर्ट के गेट पर पहुंच चुके हैं, वे तत्काल वहां से निकल जाएं। दूतावास ने 'सुरक्षा खतरे' की आशंका जताई है। ब्रिटेन के दूतावास ने भी इसी तरह की एडवाइजरी जारी की है।
नागरिकों से सुरक्षित जगह जाने की अपील
दूतावास ने एयरपोर्ट के आस-पास मौजूद अपने नागरिकों को सुरक्षित जगहों पर जाने के लिए कहा है। एडवाइजरी में कहा गया है कि 'एयरपोर्ट पर आतंकी खतरे का अंदेशा बना हुआ है।' ऑस्ट्रेलिया ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि एयरपोर्ट पर आतंकी हमले का बड़ा खतरा बना हुआ है। ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई नागरिक और उसका वीजा रखने वाले अफगान नागरिक एयरपोर्ट के इलाकों से दूर चले जाएं।
बड़ी संख्या में लोगों को किया जा रहा रेस्क्यू
देश में तालिबान का राज स्थापित हो जाने के बाद हजारों की संख्या में अफगान नागरिक प्रतिदिन काबुल एयरपोर्ट पहुंच रहे हैं। कई बार यहां भगदड़ जैसी स्थिति बनी है। लोग अफगानिस्तान के बाहर अपने लिए सुरक्षित आशियाना तलाश रहे हैं। 15 अगस्त के बाद अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने 88,000 से ज्यादा विदेशी नागरिकों को अफगानिस्तान से बाहर पहुंचाया है। यह इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा रेस्क्यू मिशन है। अमेरिकी सेना के मुताबिक हर 39 मिनट के बाद विमान काबुल एयरपोर्ट से उड़ान भर रहे हैं।