वाशिंगटन : चीन ने 2020 में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में घायल हुए PLA के एक सैनिक को ओलंपिक मशाल वाहक बनाया है, जिसके बाद से इसे लेकर विवाद पैदा हो गया है। इसे खेल का राजनीतिकरण करार देते हुए भारत ने कार्यक्रम के उद्घाटन और समापन समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है तो इस मसले पर दुनिया के ई देश भारत के साथ खड़े हैं, जिनमें अमेरिका भी शामिल है। चीन के इस फैसले के बाद अमेरिका ने कहा कि 'हम दोस्तों के साथ हमेशा खड़े हैं।'
अमेरिका ने कहा कि वह चीन की आक्रामकता के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता से खड़ा है। गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में घायल हुए PLA सैनिक को ओलंपिक टॉर्च बियरर बनाने के चीन के फैसले की निंदा करते हुए अमेरिका ने कहा कि इस मसले पर वह भारत के साथ है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस गुरुवार को एक संवादाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, जब उन्होंने कहा, 'जहां तक बात भारत-चीन सीमा विवाद की है, हम सीधे संवाद और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करना जारी रखेंगे।'
उन्होंने कहा, 'हमने पहले भी अपने पड़ोसियों को डराने-धमकाने के चीन के प्रयासों पर चिंता व्यक्त की है। जैसा कि हम हमेशा करते हैं, हम दोस्तों के साथ खड़े हैं। हम हिंद-प्रशांत में अपनी साझा समृद्धि, सुरक्षा तथा मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए भागीदारों और सहयोगियों के साथ खड़े हैं।'
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में घायल हुए PLA के सैनिक को ओलंपिक मशाल वाहक बनाए जाने के बाद आई है, जिस पर भारत ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने चीन में आयोजित हो रहे शीतकालीन ओलंपिक 2022 के उद्घाटन और समापन समारोह के बहिष्कार के साथ-साथ इसका प्रसारण नहीं करने का भी फैसला किया है।
यहां गौर हो कि चीन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के रेजिमेंटल कमांडर क्वी फाबाओ को ओलंपिक मशाल वाहक बनाने का फैसला किया है, जो 15 जून, 2020 में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में घायल हुए थे। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान से पहले अमेरिका के दो शीर्ष सांसदों मार्को रुबियो और जिम रिश ने भी चीन के इस फैसले की आलोचना की थी। वहीं, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने आरोप लगाया कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार ओलंपिक जैसे अवसर का इस्तेमाल भी अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए कर रही है और इसके जरिये मानवाधिकारों के हनन से दुनिया का ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है।