वाशिंगटन : अमेरिका और ईरान में तनाव के बीच व्हाइट हाउस ने भारत को 'अच्छा मित्र' व साझीदार करार देते हुए कहा है कि पूरे मामले में वह नई के रवैये से 'संतुष्ट' है। ट्रंप प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने इस मामले में चीन की भी तारीफ की और कहा कि इन दोनों देशों ने कारोबारी साझीदार के रूप में ईरान की बजाय अमेरिका को चुना।
अमेरिका की ओर से यह प्रतिक्रिया ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद आई है, जिसका सीधा अर्थ यह है कि अमेरिका में अगर उनकी कोई संपत्ति है तो वह सील हो जाएगी। साथ ही कोई भी विदेशी संस्थान अगर उनके लिए महत्वपूर्ण लेन-देन करता है या उसमें मदद देता है तो वह भी अमेरिकी प्रतिबंध के दायरे में आएगा। अमेरिका ने इसे ईरानी लोगों के दमन को रोकने और आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले संसाधनों से ईरान की सत्ता को वंचित रखने की दिशा में उठाया गया कदम बताया है।
जवाद जरीफ पर प्रतिबंध के बाद ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हम भारत जैसे अच्छे मित्र और साझीदार के सहयोग से काफी संतुष्ट व खुश हैं। अमेरिका खासकर भारत के सहयोग की प्रशंसा करता है और वह भारत की तर्कसंगत ऊर्जा आवश्यकताओं का ध्यान रखता रहेगा।' उन्होंने इस संबंध में चीन के रुख की भी सराहना की और कहा कि हालांकि उसके साथ अमेरिका के संबंधों में फिलहाल सामंजस्य की कमी है, पर दोनों देशों के रुख से जाहिर है कि उन्होंने कारोबारी साझीदार के रूप में ईरान के बजाए अमेरिका को चुना है।
भारत ने अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के बीच ईरान से तेल का आयात लगभग शून्य कर दिया है, जबकि इस मुल्क के साथ उसके ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। ईरान के तेल निर्यात में आई कमी का जिक्र करते हुए अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इसके तेल का निर्यात जुलाई में 1 लाख बैरल प्रतिदिन था, जो पहले के 7 लाख 81 हजार बैरल के मुकाबले काफी कम है। अधिकारी ने इसका श्रेय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को दिया।