वाशिंगटन : अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप अब राष्ट्रपति नहीं हैं, लेकिन उनके खिलाफ महाभियोग अब भी चलाया जा रहा है। अमेरिकी प्रतिनिधिसभा के बाद अब सीनेट ने उनके खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया को वैधानिक ठहराया है और इसमें उनकी रिपब्लिकन पार्टी के कई सांसदों का समर्थन भी हासिल हुआ है। सीनेट ने ट्रंप के बचाव में दी गई इस दलील को खारिज कर दिया कि अब वह राष्ट्रपति नहीं हैं और इसलिए उनके खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया बंद की जानी चाहिए।
डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ यह महाभियोग प्रस्ताव 6 जनवरी को राष्ट्रपति रहते हुए दिए गए उनके भाषण के बाद हुए उग्र प्रदर्शन और अमेरिकी संसद भवन तक पहुंचकर उनके समर्थकों द्वारा मचाए गए उत्पात को लेकर लाया गया है। ट्रंप पर अपने भाषणों के जरिये भीड़ को उकसाने का आरोप है। अपने भाषण में ट्रंप ने 3 नंवबर 2020 को हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को 'चुराया हुआ' करार दिया था और कहा था कि अगर वोटों की गिनती सही तरीके से की गई होती तो उनकी जीत सुनिश्चित थी।
अमेरिकी इतिहास में ट्रंप पहले राष्ट्रपति बन गए हैं, जिनके खिलाफ पद पर न रहते हुए भी महाभियोग चलाया जा रहा है। इससे पहले रिचर्ड निक्सन के खिलाफ भी 1974 में महाभियोग प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन उनके पद से हटते ही यह प्रस्ताव गिर गया था। ट्रंप इससे पहले 2019-2020 में भी महाभियोग का सामना कर चुके हैं। तब उन पर राष्ट्रपति चुनाव में अपने संभावित प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन के खिलाफ विदेशी ताकतों (यूक्रेन) से मदद मांगने का आरोप लगा था। प्रतिनिधि सभा में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दिसंबर 2019 में पारित हो गया था, जबकि सीनेट ने फरवरी 2020 में इसे खारिज कर दिया था।
इस बार सीनेट ने भी ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने को वैधानिक ठहराया है। सीनेट में मंगलवार को यह प्रस्ताव 44 के मुकाबले 56 वोटों से पारित हो गया और इस तरह इसमें 6 रिपब्लिकन सांसदों का भी समर्थन डेमोक्रेट्स को मिला, जिन्होंने माना कि ट्रंप का कदम असंवैधानिक था। अब ट्रंप के खिलाफ इन आरोपों की जांच होनी है कि क्या वाकई उन्होंने 6 जनवरी को हिंसा भड़काई थी, जिसके कारण यूएस कैपिटल में फसाद हुआ। ट्रंप दोषी हैं या नहीं, इसे अमेरिकी कांग्रेस को तय करना है।
ट्रंप के खिलाफ आरोप अगर सही पाए जाते हैं तो उन पर आने वाले समय में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने पर पाबंदी लग सकती है। ट्रंप पहले ही इसे लेकर अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं 2024 के चुनाव में वह एक बार फिर मैदान में उतरेंगे। ऐसे में उनकी इस कोशिश को झटका लग सकता है। साथ ही पूर्व राष्ट्रपति की हैसियत से मिलने वाली पेंशन और कई अन्य सुविधाओं पर भी रोक लग सकती है। लेकिन अगर ट्रंप के खिलाफ यह प्रस्ताव गिरता है तो यह उनके लिए एक बड़ी मनोवैज्ञानिक बढ़त होगी, जो अपने समर्थकों के बीच यह संदेश दे पाएंगे कि उनके खिलाफ दो बार ऐसा प्रस्ताव लाया गया और दोनों बार यह गिर गया। यानी अमेरिकी सियासत में एक वर्ग है जो उन्हें इस शीर्ष पद पर नहीं देखना चाहता। ऐसे में वह अधिक मजबूती के साथ 2024 के चुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं।